इंदौर। कहते हैं कि असली भारत तो आदिवासी अंचल के ग्रामों में बसता है, इसी के चलते इंदौर की पद्मश्री जनक पलटा ने आदिवासी अंचल की महिलाओं की जिंदगी संवारने में अपना जीवन, समय, घर-बार सब अर्पित कर दिया.
इंदौर की जनक दीदी देश में ऐसी एकमात्र समाजसेविका हैं, जिनके प्रयासों की बदौलत मध्य प्रदेश के 500 आदिवासी गांवों में रहने वाली 6 हजार लड़कियों और महिलाओं की एक पीढ़ी साक्षर हो चुकी है. लिहाजा आज भी जनक दीदी महिला उत्थान की आइकॉन बनी हुई हैं. 72 साल की उम्र में भी हर पल अपने आसपास मौजूद लोगों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार रहने वाली जनक दीदी अब मध्यप्रदेश में सस्टेनेबल डेवलपमेंट की मिसाल बन चुकी हैं.
जनक दीदी ने दस साल पहले पति के बरली महिला ग्रामीण विकास संस्थान में आदिवासी छात्राओं के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया. इस दौरान उन्हें बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने से रोकने की आदिवासी मानसिकता के खिलाफ भारी संघर्ष करना पड़ा, इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. बरली महिला ग्रामीण विकास संस्थान में अपनी सेवाएं देने के बाद जनक दीदी और उनके पति जिमी ने इंदौर के सनावद गांव में गिरी दर्शन नाम से घर बनाया था, हालांकि एक सड़क दुर्घटना में जनक के पति का देहांत हो गया, लेकिन उनके द्वारा घर में स्थापित किया गया पॉवर स्टेशन गांव भर में बिजली देने का माध्यम बन गया.
अदिवासी बच्चियों की साक्षरता की बनी वजह