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अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में संरक्षित संविधान की दुर्लभ प्रति, 282 संविधान मनीषियों के हैं हस्ताक्षर - Constitutional expert

इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में 282 संविधान मनीषियों के मूल हस्ताक्षर की एक दुर्लभ प्रति मौजूद है, जिसे हर साल गणतंत्र दिवस पर ही सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी और संविधान विशेषज्ञ आते हैं.

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संविधान की अमूल्य धरोहर

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Published : Jan 22, 2020, 10:49 AM IST

Updated : Jan 22, 2020, 11:37 AM IST

इंदौर। दुनियाभर के संविधान में श्रेष्ठ भारतीय संविधान जितना अनूठा है, उतनी ही खासियत है संविधान के रूप में तैयार दुर्लभ कृतियों की, जो आज भी भारतीय गणतंत्र की धरोहर है. इन्हीं धरोहर में से एक है इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की दुर्लभ प्रति, जिसमें एक-दो नहीं बल्कि देश के 282 संविधान मनीषियों के मूल हस्ताक्षर मौजूद हैं. हर साल गणतंत्र दिवस पर संविधान की कृति को देखने कई साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी यहां पहुंचते हैं.

अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में संरक्षित संविधान की दुर्लभ प्रति

दरअसल भारतीय संविधान सबसे पहले मूल रूप में तीन प्रतियों में तैयार हुआ था. इसकी मूल प्रति हीलियम के एक विशेष केस में सहेजकर संसद भवन की लाइब्रेरी में रखी गई है, तो दूसरी प्रति इंदौर के देवी अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है. संविधान की यह वह मूल प्रति है, जिसमें संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत उस दौरान संविधान निर्माण में कोई ना कोई भूमिका निभाने वाले संविधान मनीषियों, साहित्यकारों और जनप्रतिनिधियों के मूल हस्ताक्षर हैं.

संविधान की इस प्रति की खासियत यह भी है कि इसका मुख्य पृष्ठ इंदौर में ही तैयार हुआ था. भारतीय गणतंत्र और संविधान विशेषज्ञों के बीच संविधान की विरासत मानी जाने वाली यह प्रति प्रतिवर्ष अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी गणतंत्र दिवस पर ही सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाती है.

Last Updated : Jan 22, 2020, 11:37 AM IST

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