इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. नए वेरिएंट ओमीक्रोन के संक्रमण के मामले देश के साथ-साथ प्रदेश में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. संक्रमण की दर भले ही तेज हुई है लेकिन फिलहाल परिस्थितियां राहत वाली नजर आती है. राहत वाली बात यह है कि इस वायरस का संक्रमण फेफड़ों पर असर नहीं डाल रहा है, जैसा कि दूसरे फेज में हुआ था. यही वजह है कि कोरोना के दूसरी लहर की तुलना में इस बार कोरोना हॉटस्पॉट इंदौर में सीटी स्कैन एक परसेंट भी नहीं हो रहे हैं. साथ ही मृत्यु दर में भी कमी आई है, इम्युनिटी बढ़ने के कारण डेथ रेट घटकर 0.1% रह गया है.
सीटी स्कैन की नहीं पड़ रही जरूरत (CT scan not needed in third wave)
कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण की भीषण त्रासदी के दौरान जहां सीटी स्कैन के बिना संक्रमण का पता लगाना मुश्किल था. वही अब अधिकांश संक्रमित मरीजों को सीटी स्कैन की जरूरत तक नहीं पड़ रही है. देश में कोरोना का हॉटस्पॉट रहे इंदौर में ही शहर की 10 प्रमुख सीटी स्कैन सेंटरों पर कोरोना के एक परसेंट मरीजों को भी लंग्स स्कैन या फिर कोरोना की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन की जरूरत नहीं पड़ रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि वायरस गले के नीचे पहुंचकर संक्रमण (Omicron has less effect on lungs) नहीं फैला पा रहा है, लिहाजा फेफड़ों अथवा अन्य अंगों तक ओमीक्रोन का संक्रमण नहीं पहुंच पा रहा है, जो राहत पहुंचाने वाली खबर है.
वैक्सीनेशन और ऑटो-इम्युनिटी का असर (Effects of vaccination and auto-immunity)
एक्सपर्ट की मानें तो संक्रमण के कम घातक होने की वजह लोगों की बढ़ी हुई प्रतिरोधक क्षमता है, जो वैक्सीन लगने से आई है. साथ ही बीमारी के साथ ऑटो इम्युनिटी भी डेवलप होती है. बड़ी बात यह भी है कि आरटी-पीसीआर जांच में जो मरीज संक्रमित पाए जा रहे हैं, उनमें भी कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं दिख रहे हैं. इनमें से अधिकांश ऐसे मरीज हैं, जिनमें कोई भी लक्षण नहीं पाए जा रहे हैं. वहीं जिन संक्रमित लोगों में लक्षण पाए जा रहे हैं, उनमें भी वायरस गले के नीचे पहुंचकर संक्रमण नहीं फैला पा रहा है.