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Narmada Pollution: जीवनदायिनी नर्मदा में बढ़ा घातक संक्रमण, खतरनाक बैक्टीरिया भी मिले - नर्मदा नदी में लगातार बढ़ते प्रदूषण

नर्मदा नदी में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर पर्यावरण व सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि नर्मदा में उद्गम स्थल से लेकर समुद्र में मिलने तक के रास्ते में शहरों का सीवरेज इसी में मिल रहा है. हाल ही में हुई जांच में पाया गया कि नर्मदा के जल में अब केलीफॉर्म और ई-कोलाई बैक्टीरिया भी पाया गया है, जो काफी चिंताजनक पहलू है.

Narmada Pollution
जीवनदायिनी नर्मदा में बढ़ा घातक संक्रमण, खतरनाक बैक्टीरिया भी मिले

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Published : Apr 21, 2023, 12:59 PM IST

जीवनदायिनी नर्मदा में बढ़ा घातक संक्रमण, खतरनाक बैक्टीरिया भी मिले

इंदौर।मध्य प्रदेश को स्वच्छ जल के रूप में जीवन मुहैया कराने वाली पुण्य सलिला नर्मदा नदी भी अब संक्रमण से जूझ रही है. स्थिति यह है कि नदी के बहाव क्षेत्र में विभिन्न शहरों और ग्रामीण अंचलों के सीवरेज और गंदे नालों का पानी नर्मदा नदी में छोड़ा जा रहा है. इससे इसका जल भी संक्रमित हो रहा है. हाल ही में बड़वानी जिले के कोकरा गांव से लिए गए पानी के सैंपल की जांच में पता चला है कि नर्मदा नदी के पानी में घातक केलीफॉर्म और ईकोलाई बैक्टीरिया का संक्रमण है. इतना ही नहीं सरदार सरोवर से सटे डूब क्षेत्र में तो पानी का बहाव रुकने से मछलियां मर रही हैं. नर्मदा का जल जीवन ही प्रभावित हो चुका है, जिसे लेकर अब विरोध के स्वर भी उठा रहे हैं.

नर्मदा जल लगातार प्रदूषित :बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के पानी में लगातार प्रदूषण बढ़ने के चलते हाल ही में कैल्पिन वाटरटैक लैब द्वारा जब कुकरा गांव से पानी का सैंपल कलेक्ट करने के बाद जब जांच की गई. पता चला नर्मदा जल लगातार प्रदूषित हो रहा है. जांच रिपोर्ट में पानी में अधिकतम गंदगी का स्तर पाया गया. इसी तरह पानी में कैल्शियम कार्बोनेट का स्तर अधिकतम 200 के स्थान पर 300 पार कर गया है. सबसे चौंकाने वाली स्थिति पानी में बैक्टीरिया को लेकर है, क्योंकि नर्मदा के जल में अब केलीफॉर्म और ई-कोलाई बैक्टीरिया भी पाया गया है, जो नर्मदा में सीवरेज और जीव जंतुओं द्वारा दूषित होने वाले पानी का दुष्परिणाम है. पर्यावरण विधि के मुताबिक इस तरह के बैक्टीरिया ना केवल स्वास्थ्य के लिए घातक हैं बल्कि नदी के जल ही जीवन के भी इससे खतरा बढ़ेगा.

मंडला से बड़वानी तक हालत खराब :नर्मदा नदी शुरू से ही अपने आसपास रहने वाली रिहायशी बस्ती के लिए अवशिष्ट निस्तारण का सुविधाजनक जरिया बनी है. नर्मदा के उद्गम स्थल से लेकर उसके समुद्र में मिल जाने तक विभिन्न शहरों और ग्रामीण कस्बों का अवशिष्ट जल नर्मदा में प्रवाहित हो रहा है. मंडला जिले में ही 16 नाले नर्मदा नदी को प्रदूषित कर रहे हैं. यही स्थिति नर्मदापुरम जिले के सेठानी घाट की है, जहां पूरे शहर का अवशिष्ट जल नर्मदा में डाला जा रहा है. इसके अलावा जबलपुर के ग्वारीघाट समेत डिंडोरी, नरसिंहपुर का बरमान घाट, सीहोर जिले के शाहगंज सहित देवास में नेमावर और खंडवा के ओमकारेश्वर व मंडलेश्वर समेत धार जिले के धरमपुरी बड़वानी के राजघाट और अलीराजपुर के ककराना घाट पर भी प्रदूषण की यही स्थिति नजर आती है.

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयास नाकाम :हालांकि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कई बार नर्मदा में सीधे सीवरेज का बहाव रोकने के लिए विभिन्न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के भी प्रयास किए लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में यह प्लांट सिर्फ खानापूर्ति साबित हुए हैं. बैक्टीरिया स्वास्थ्य के लिए घातकमध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चीफ केमिस्ट रहे दिलीप वाघेला के मुताबिक नर्मदा जल में सीवरेज मिलने से यह स्थिति बन रही है, जो ठीक नहीं है. वैसे 100 मिलीलीटर पानी में 50 mpn (most probable number) से कम बैक्टीरिया घाटक नहीं होते लेकिन फिर भी इनकी संख्या लगातार बढ़ने से पानी का उपयोग उबालकर किया जाना चाहिए. लेकिन यदि नर्मदा जल को लेकर भी स्थिति आगे भी यह जारी रही तो पानी का प्रदूषण और बढ़ेगा.

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