इंदौर।प्रदेश में बीते दिनों राशन माफिया की कालाबाजारी का खुलासा हुआ था. इंदौर पुलिस मामले की जांच कर रही है. राशन माफिया 51 हजार गरीबों के हक का राशन डकार गए. जिसकी कीमत करीब 80 लाख रूपए बताई जा रही है. अब प्रशासन इसकी वसूली के लिए अभियान शुरू करने वाला है. आरोपियों की संपत्ति के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके बाद रिकवरी का काम शुरू किया जाएगा.
संपत्तियों के बारे में जुटाई जा रही जानकारी
जांच दल के प्रमुख अधिकारी एडीएम अभय बेडेकर ने बताया प्रदेश में ये पहला मामला होगा जिसमें राशन माफिया की संपत्तियों को नीलाम करते हुए उनसे भू राजस्व की वसूली की तरह ही नोटिस देकर रिकवरी की जाएगी. इधर आरोपियों के 28 अन्य परिचितों और 12 समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भी संपत्तियों की जांच हो रही है. इसमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं. इन्हें भी वसूली के दायरे में लाया गया है. रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज संपत्तियों के रिकॉर्ड की भी जांच की गई. जिसमें श्याम दवे और भरत दवे के नाम पर कुछ मकान और बहुमंजिला इमारतों का पता चला है.
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फूड कंट्रोलर पर भी गिरेगी गाज
इस घोटाले में फूड कंट्रोलर आरसी मीणा का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है. अब उनके गृह जिले गुना में संपत्तियो की पड़ताल की जाएगी. इसके अलावा शासकीय सेवा के दौरान उनके द्वारा भरे जाने वाले संपत्ति विवरण से भी जानकारी निकाली जा रही है. जिससे कि मीणा की लापरवाही के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. गौरतलब है इस मामले में फूड कंट्रोलर रहे आरसी मीणा को भी आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है.
राशन दुकानें स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायद
इस घोटाले के बाद अब प्रदेश में राशन दुकानों को स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायत शुरू की जा रही है. लेकिन इसे लेकर हाईकोर्ट का एक आदेश रोड़ा बन रहा है. जिसमें ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में नए सिरे से राशन दुकान खोले जाने को लेकर रोक है. अब शासन स्तर पर कोशिश की जा रही है कि कोर्ट के आदेश के दायरे में ही राशन दुकानों से हो रही कालाबाजारी को निगरानी के दायरे में लाया जाएगा.