इंदौर। देशभर में सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली असली नकली दवाओं की पहचान अब क्यूआर कोड के जरिए हो सकेगी. भारत सरकार ने नकली दवाओं पर नियंत्रण के लिए अब 300 तरह की दवाओं को क्यूआर कोडिंग के दायरे में लाने का फैसला किया है. लिहाजा अब असली एवं नकली दवा को क्यूआर एवं बार कोड स्कैन करके दवा की आसानी से पहचान की जा सकेगी. यह नियम लाने के लिए सरकार ने Drug and Cosmetics Act, 1940 में संशोधन किया है. इसके तहत दवा निर्माता कंपनियों को दवाओं पर QR कोड लगाना अनिवार्य होगा.
ड्रग माफिया पर लगेगी लगाम:देश में 156000 करोड़ के दवा व्यवसाय के बावजूद ड्रग माफिया एक ऐसे नेटवर्क को संचालित कर रहा है. जिसके जरिए प्रचलित दवाओं के नाम से ई फार्मेसी और ऑनलाइन माध्यम से नकली दवाएं बाजार में उतार कर मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. हालांकि इसकी मात्रा कुल व्यवसाय का 1 फीसदी भी नहीं है, लेकिन फिर भी जन स्वास्थ्य की दृष्टि से नकली दवाएं बनाने वाले फार्मा गिरोह की गतिविधियां ध्वस्त करने के लिए भारत सरकार ने पहले चरण में 300 तरह की प्रमुख दवाओं में बारकोडिंग की व्यवस्था लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के जरिए अब निर्धारित 300 दवाएं 1 अगस्त 2023 के बाद बिना बारकोडिंग की पैकिंग के साथ नहीं बिक सकेंगी. हालांकि अभी बिना बारकोडिंग वाली जो दवाएं बाजार में मौजूद हैं. वह निर्धारित दिनांक से पहले बेची जा सकेगी.
बारकोड की व्यवस्था:भारत सरकार के राज्य पत्र के अनुसार qr-code में विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड दवा के पैकिंग पर रहेगा. इसमें दवा का सामान्य नाम ब्रांड का नाम निर्माता का नाम और पता भेज संख्या और निर्माण की तारीख तथा दवा की समाप्ति की तारीख और निर्माण लाइसेंस संख्या का उल्लेख करना होगा. ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रजिस्ट के महासचिव राजीव सिंघल के मुताबिक इस आदेश के जरिए भारत सरकार द्वारा नकली और घटिया दवाओं के निर्माण पर अंकुश लगाना है. यह ट्रेस और ट्रैक प्रणाली दुनिया के अन्य देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका जर्मनी रूस ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में पहले से प्रचलित है. इस सूची में रखी जाने वाली दवाएं व्यापक रूप से कामन दवाएं होती हैं इसलिए रोगियों को वितरित करते समय उनकी प्रमाणिकता जरूरी होगी.
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ई-फार्मेसी और ऑनलाइन बिक्री भी चुनौती:नशीले पदार्थों की ऑनलाइन बिक्री के कारण युवा पीढ़ी के लिए भी खतरे जैसी स्थिति बन रही है. अवैध ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण नहीं होने के कारण ऐसी दवाएं जिन से नशा हो सकता है. उन्हें ऑनलाइन तरीके से खरीदे जाता है. इसलिए भी सरकार प्रचलित दबाव को बारकोडिंग के दायरे में ला रही है. इसके अलावा अब देश के 94000 केमिस्ट अपने एसोसिएशन के जरिए यह भी ध्यान रखेंगे की निर्धारित समय के बाद बाजार में बिना बारकोडिंग की दवाएं किसी भी हालत में ना बेची जा सके.