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बीजेपी की हर कसौटी पर खुद को साबित किया कैलाश विजयवर्गीय ने, पढ़ें..सीएम पद की रेस में क्यों आगे - कौन बनेगा एमपी का सीएम

MP election result 2023 Kailash Vijayvargiya: मालवा निमाड़ के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर की कठिन सीट से जीतकर खुद को साबित किया है. मालवा निमाड़ में विजयवर्गीय इकलौते ऐसे भाजपा नेता हैं, जो अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे हैं. वह चुनाव प्रचार के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से खुद को सीएम पद का दावेदार कई बार बता चुके हैं. क्या विजयवर्गीय को सीएम की कुर्सी मिलेगी. पढ़ें ये विश्लेषण.

MP election result 2023 Kailash Vijayvargiya
कैलाश का दबदबा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 3, 2023, 7:52 PM IST

इंदौर।मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता व बीजेपी के राष्ट्रीय महाासचिव 67 वर्षीय कैलाश विजयवर्गीय की किसी ख्वाहिश पर गौर किया जाए तो उनका सपना सिर्फ मुख्यमंत्री बनने का है. अब जबकि मध्य प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बन रही है तो विजयवर्गीय को उम्मीद है कि पार्टी इस बार उन्हें मौका देगी. दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में सबसे कठिन माने जाने वाली इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट से पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मेदारी दी थी. जहां उम्मीदों पर खरे उतरते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने 57719 वोटों से जीत हासिल की.

अन्य सीटों पर धुंआधार प्रचार : इसके अलावा विजयवर्गीय को अन्य सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी. विजयवर्गीय को टिकट मिलने के कारण उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में नहीं उतारा जा सका. इस स्थिति के बावजूद विजयवर्गीय ने पूरा मैदान संभालते हुए खुद को एक बार फिर नए सिरे से साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने करीब 105 सीटों पर सभाएं लीं.

पं.बंगाल में भी लोहा मनवाया :इतना ही नहीं चुनावी मैदान में उन्हें पश्चिम बंगाल के एक प्रकरण में हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन मामले का भी सामना करना पड़ा, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने भाजपा की सत्ता की लहर को मालवा निमाड़ में बरकरार रखा. चुनाव की घोषणा होते ही हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी. इतना ही नहीं उन्होंने संकेत भी दिए थे कि अब वह चुनाव लड़ने के लिए गली मोहल्ले नहीं घूम सकते, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर उन्होंने चुनावी मैदान में उतरते ही अपनी विधानसभा सीट के अलावा अन्य सीटों पर भी पूरा खेल पलटने की पुरजोर और सफल कोशिश की. यही वजह है कि एक बार फिर कैलाश अपने सपने के साथ विधानसभा की ओर रुख करने जा रहे हैं.

शिवराज से मतभेद हुए थे :कैलाश विजयवर्गीय शिवराज मंत्रिमंडल में इकलौते ऐसे नेता भी रहे हैं जिन्होंने मंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान से अंदरूनी मतभेदों के कारण सत्ता के स्थान पर संगठन में कार्य करने की इच्छा जताई थी. इसके बाद पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दी थी, जहां उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ चुनावी मोर्चा संभाला. इसके बाद में मध्य प्रदेश में सक्रिय हुए. तब से अब तक हुए पार्टी के महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. हालांकि विजयवर्गीय ने चुनाव के पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अब वह पुनः मध्य प्रदेश में सक्रिय रहेंगे. इसके राजनीतिक मायने स्पष्ट हैं.

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कई बार जताया सीएम पद पर दावा :हर बार मुख्यमंत्री के सवाल पर उनका कहना होता है कि इसका चयन पार्टी का विधायक दल करता है और यह पार्टी संगठन का फैसला होता है. ऐसे में एक बात तो दिख रही है कि कैलाश विजयवर्गीय का कद एक बार फिर न केवल मालवा निमाड़ में बल्कि भाजपा की इस जीत से बढ़ने वाला है. विजयवर्गीय के राजनीतिक कैरियर पर गौर किया जाए तो 1983 से 1988 के दौरान हुए इंदौर नगर निगम के महापौर रहे. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कैलाश विजयवर्गीय 1990 1993 1998 के अलावा 2003 2008 और 2013 में विधायक रह चुके हैं.

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