इंदौर।मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता व बीजेपी के राष्ट्रीय महाासचिव 67 वर्षीय कैलाश विजयवर्गीय की किसी ख्वाहिश पर गौर किया जाए तो उनका सपना सिर्फ मुख्यमंत्री बनने का है. अब जबकि मध्य प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बन रही है तो विजयवर्गीय को उम्मीद है कि पार्टी इस बार उन्हें मौका देगी. दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में सबसे कठिन माने जाने वाली इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट से पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मेदारी दी थी. जहां उम्मीदों पर खरे उतरते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने 57719 वोटों से जीत हासिल की.
अन्य सीटों पर धुंआधार प्रचार : इसके अलावा विजयवर्गीय को अन्य सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी. विजयवर्गीय को टिकट मिलने के कारण उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में नहीं उतारा जा सका. इस स्थिति के बावजूद विजयवर्गीय ने पूरा मैदान संभालते हुए खुद को एक बार फिर नए सिरे से साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने करीब 105 सीटों पर सभाएं लीं.
पं.बंगाल में भी लोहा मनवाया :इतना ही नहीं चुनावी मैदान में उन्हें पश्चिम बंगाल के एक प्रकरण में हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन मामले का भी सामना करना पड़ा, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने भाजपा की सत्ता की लहर को मालवा निमाड़ में बरकरार रखा. चुनाव की घोषणा होते ही हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी. इतना ही नहीं उन्होंने संकेत भी दिए थे कि अब वह चुनाव लड़ने के लिए गली मोहल्ले नहीं घूम सकते, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर उन्होंने चुनावी मैदान में उतरते ही अपनी विधानसभा सीट के अलावा अन्य सीटों पर भी पूरा खेल पलटने की पुरजोर और सफल कोशिश की. यही वजह है कि एक बार फिर कैलाश अपने सपने के साथ विधानसभा की ओर रुख करने जा रहे हैं.