इंदौर।बीजेपी का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो कमलनाथ की सरकार गिराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके साथ भाजपा में शामिल हुए. सिंधिया के साथ आने वाले कांग्रेसियों के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के राजनीतिक हित प्रभावित हुए हैं. यही स्थिति कमोबेश सिंधिया समर्थकों के कारण मालवा ही नहीं बल्कि मध्य भारत विंध्य और चंबल अंचल के कई विधानसभा क्षेत्रों को लेकर बनी हुई है. यहां के पुराने भाजपाई और पूर्व विधायक 2023 के चुनाव को लेकर इस उम्मीद में हैं कि उन्हें उनकी परंपरागत सीट से मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी ने पहली सूची में जिस तरह से उम्मीदवार तय किए हैं, उसको देखकर कई दावेदार निराश हैं.
बदनावर सीट में फंसेगा पेंच :पहली सूची में जिस तरह सांवेर से चुनाव लड़ने वाले राजेश सोनकर को हटाकर सोनकच्छ भेजा गया है, उससे माना जा रहा है कि बदनावर सीट से सिंधिया समर्थक मंत्री दत्ती गांव को ही टिकट मिलेगा. ऐसी स्थिति में भंवर सिंह शेखावत के लिए भाजपा में कोई मुकाम मिल पाना मुश्किल होगा. यही वजह है कि वे अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. शेखावत के तेवरों से इस बात का अंदाजा उसी समय लग गया था, जब उन्होंने कोरोना काल मे सरकार की विफलता के साथ वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को जिम्मेदार ठहरा दिया था.