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MP Board Result 2023: गुरदीप बनी बहुविकलांग टॉपर, बोलने, सुनने, देखने में हैं असमर्थ

एमपी बोर्ड परिक्षाओं के परिणाम 25 को घोषित हो गए. 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं के परिणाम एक साथ घोषित किए गए. 10 वीं के परिणामों में इंदौर की दिव्यांग गुरदीप कौर ने भी परीक्षा पास की है. गुरदीप मूक बधिर होने के साथ दृष्टिहीन भी हैं.

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गुरदीप बनी सेंट्रल इंडिया की पहली बहुविकलांग टॉपर

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Published : May 25, 2023, 7:58 PM IST

गुरदीप बनी सेंट्रल इंडिया की पहली बहुविकलांग टॉपर

इंदौर। 25 मई को घोषित हुए हाईस्कूल परीक्षा परिणामों में जहां कई छात्रों ने बाजी मारी वहीं इंदौर की एक ऐसी भी छात्रा थी जिसने मूक बधिर होने के साथ दृष्टिहीन होने के बावजूद प्रदेश में पहली बार हाईस्कूल परीक्षा पास करके अपनी विकलांगता को मात दे दी है. गुरदीप सेंट्रल इंडिया की ऐसी पहली छात्रा हैं जिसने स्पर्श के संवाद और ब्रेल लिपि की मदद से मूक बधिर राइटर के जरिए हाई स्कूल परीक्षा में 56 फीसदी अंकों के साथ सफलता हासिल की है.

गुरदीप बनी सेंट्रल इंडिया की पहली बहुविकलांग टॉपर

सबने मिलकर की पहल: गुरदीप कौर उर्फ स्वीटी ने अपनी बहन को पढ़ाई के साथ नौकरी करते देख आठवीं कक्षा के बाद आगे भी पढ़ने की इच्छा इंदौर जिला प्रशासन के समक्ष जताई थी. लिहाजा इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी ने शिक्षा विभाग की मदद से गुरदीप को शहर के आनंद संस्थान में पढ़ने की अनुमति दिलाई थी. लिहाजा स्कूल में संचालिका मोनिका पुरोहित ने गुरदीप के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित कर अपने हाथ की उंगलियों और हथेलियों को दबाने के स्पर्श के साथ शब्दों को समझाने की मशक्कत के साथ गुरदीप की परीक्षा की तैयारियां जनवरी से ही कराई थी. इसके बाद ब्रेल लिपि की किताबें भी बमुश्किल से गुरदीप के लिए उपलब्ध हो सकी. परीक्षा का समय आया तो गुरदीप की परीक्षा दिलाने के लिए मूक बधिर राइटर भी अरेंज किया गया जिसने परीक्षा में पेपर के उत्तर ब्रेल लिपि और साइन लैंग्वेज को समझते हुए दिए. जिसके परिणाम स्वरूप हाई स्कूल के रिजल्ट में गुरदीप को हाईस्कूल परीक्षा में सफलता मिल सकी है.

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अस्पताल की भूल से हुआ था गुरदीप की जिंदगी में अंधेरा:इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रीतपाल सिंह की बेटी का जन्म 1991 में अपनी जुड़वा बहन के साथ हुआ था तबीयत बिगड़ने पर स्वीटी की बहन की तो मौत हो गई लेकिन इनक्यूबेटर में आवश्यकता से अधिक रखे जाने के कारण गुरदीप की आंखों की रोशनी चली गई. इतना ही नहीं नर्सिंग स्टाफ ने इनक्यूबेटर में ना तो उसकी आंखों में रुई रखी और ना ही कान पर जिसके फलस्वरूप गुरदीप देख पाने के साथ बोल पाने सुन पाने में भी असमर्थ हो गई. स्वीटी की स्थिति का पता उनके पिता को काफी समय बाद चला लेकिन कई जगह इलाज कराने के बावजूद उनके परिवार को सफलता नहीं मिली हालांकि अब गुरदीप ने अपनी विकलांगता को मात दे दी है तो उसका परिवार अब हाई स्कूल के बाद गुरदीप को हायर सेकेंडरी की परीक्षा दिलाना चाहता है जिसकी तैयारी वह अभी से करना चाहती हैं.

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