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MP Assembly Elections 2023: देपालपुर में भाजपा प्रत्याशी मनोज पटेल का विरोध, लोगों ने स्थानीय राजेंद्र चौधरी को घोषित किया उम्मीदवार - राजेंद्र चौधरी देपालपुर से प्रत्याशी घोषित

Protest against BJP Candidate Manoj Patel: इंदौर जिले के देपालपुर में लोग भाजपा के प्रत्याशी मनोज पटेल के विरोध में सड़कों पर आ गए हैं. स्थानीय लोगों ने राजेंद्र चौधरी को अपनी प्रत्याशी घोषित कर दिया है. दरअसल लोगों की कई समस्याएं, जिसे न भाजपा न ही कांग्रेस हल कर सकी है. नतीजा यह है कि लोगों ने खुद अपनी प्रत्याशी मैदान में उतार दिया.

people declared Rajendra Chaudhary as candidate
देपालपुर में भाजपा प्रत्याशी मनोज पटेल का विरोध

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 10:53 PM IST

देपालपुर में भाजपा प्रत्याशी मनोज पटेल का विरोध

इंदौर। भाजपा में टिकट को लेकर मच रहे घमासान और अंतर विरोध के बीच इंदौर की देपालपुर विधानसभा सीट पर भी स्थानीय उम्मीदवार की मांग को लेकर असंतोष चरम पर है. दरअसल भाजपा ने यहां पूर्व विधायक मनोज पटेल को टिकट देकर फिर उम्मीदवार बनाया है जिससे नाराज भाजपा के एक बड़े तबके और कार्यकर्ताओं ने स्थानीय उम्मीदवार की मांग को लेकर खुद अपने प्रत्याशी के तौर पर राजेंद्र चौधरी को मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है. जाहिर है इस स्थिति का खामियाजा भाजपा को भुगतना होगा. वहीं, कांग्रेस के विधायक एवं संभावित उम्मीदवार विशाल पटेल भी क्षेत्र में निष्क्रियता को लेकर मतदाताओं के विरोध का सामना कर रहे हैं.

देपालपुर में भाजपा का कब्जा: इंदौर की विधानसभा सीट पर अधिकांश तौर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय निर्भय सिंह पटेल 1980 के बाद 1985, 1990 और 1993 में भाजपा के उम्मीदवार रहे हैं. उनके बाद उनके पुत्र मनोज पटेल 2008, 2013 और 2018 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े हैं. मतदाताओं का कहना है कि ''खुद पटेल परिवार देपालपुर का स्थानीय परिवार नहीं है जिन्होंने कभी भी इंदौर में रहते यहां किसी भी स्थानीय नेता को पनपने नहीं दिया. जिसने भी यहां राजनीति में आगे आने की कोशिश की उसे या तो फौजदारी या अपराधिक मामले में फंसा दिया गया. इस बार फिर यहां भाजपा ने मनोज पटेल को ही अपना उम्मीदवार घोषित किया है.''

मजबूर होकर लोगों ने चुना प्रत्याशी: ऐसे में भाजपा का परंपरागत वोट बैंक और कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा का टिकट बीते 40 सालों से पटेल परिवार के यहां गिरवी पड़ा है. जिसे भाजपा बदलना नहीं चाहती. यही वजह है कि अब मतदाताओं ने मजबूर होकर खुद ही अपना विधायक बदलने का फैसला कर लिया है. स्थानी लोगों का कहना है कि ''जल्द ही राजेंद्र चौधरी के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद जनता खुद उनका प्रचार करेगी और इस बार चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस किसी भी बाहरी उम्मीदवार को सहन नहीं करेंगे.''

जानिए कौन है राजेंद्र चौधरी:दरअसल राजेंद्र चौधरी और समंदर दास इंदौर के देपालपुर में जबरेश्वर सेना नामक हिंदूवादी संगठन के प्रमुख तौर पर पूरे विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. राजेंद्र का नाम सन 2007 में समझौता ब्लास्ट के दौरान चर्चा में आया था. उस दौरान राजेंद्र चौधरी पर पाकिस्तान जाने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में बम रखने का आरोप था. जिसके बाद एनआईए की टीम ने 2012 में राजेंद्र को उज्जैन से गिरफ्तार किया था. हालांकि सबूत के अभाव और लंबी छानबीन के बाद पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने राजेंद्र के अलावा अन्य तीन आरोपियों को बरी कर दिया था. इसके बाद से ही राजेंद्र ने देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में जबरेश्वर सेना गठित कर सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियां जारी रखीं. इस दौरान उन्होंने देपालपुर विधानसभा के करीब 54 गांव में समरसता कार्यक्रम आयोजित किया. इसके अलावा राजेंद्र चौधरी ने अपनी टीम बनाने के लिए जबरेश्वर सेना का गठन गांव में किया, जिसके फल स्वरुप उन्होंने विधानसभा के मतदाताओं के एक बड़े तबके में अपने लिए बड़ा जन समर्थन हासिल किया है. यही वजह है कि राजेंद्र चौधरी के समर्थक अब उन्हें स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतारने का मन बना चुके हैं.

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जन समस्या पर नहीं दिया किसी ने ध्यान:करीब 4 लाख की आबादी वाली देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब ढाई लाख मतदाता हैं, इन्हें लेकर स्थिति यह है कि यहां स्वास्थ्य के अलावा उच्च शिक्षा और अन्य जरूरत के लिए लोगों को इंदौर की ओर 70 किलोमीटर का सफर करके जाना होता है. स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसी हैं कि अधिकांश लोग निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर होते हैं. कला एवं वाणिज्य संख्या को छोड़कर यहां कॉलेज में विज्ञान का विषय नहीं है. लिहाजा यहां का युवा या तो खेती मजदूरी करता है या रोजगार की तलाश में इंदौर या पीथमपुर की ओर रुख करता है. क्योंकि यहां कोई स्थानीय स्तर पर उद्योग धंधे विकसित नहीं हुए हैं. इसके अलावा स्थानीय स्तर की सैकड़ों समस्याएं हैं जिन पर न तो यहां के पूर्व भाजपा विधायकों ने ध्यान दिया न ही कांग्रेस ने ध्यान देना जरूरी समझा. यही वजह है कि अब लोग अपनी समस्याएं खुद हल करने के लिए अपने बीच का ही स्थानीय उम्मीदवार चाहते हैं.

कांग्रेस को मिल सकता है फायदा:वर्तमान में यहां विशाल पटेल कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं, लेकिन उन्हें लेकर कहा जाता है कि उन्होंने भी अपनी विधायकी इंदौर से की है, क्षेत्रीय लोगों के बीच उनकी सक्रियता नहीं होने और विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का भी जीवन संपर्क बीते 5 साल में विशाल पटेल से नहीं हो पाने के कारण लोग विशाल पटेल को लेकर भी निराश हैं. हालांकि भाजपा का एक घड़ा राजेंद्र चौधरी के पक्ष में जाने से विशाल पटेल को वोटों के हिसाब से लाभ हो सकता है. लेकिन फिर भी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता विशाल पटेल को भी फिर से जन समर्थन देने के मूड में कितने हैं यह ना तो क्षेत्र में दिखाई दे रहा है, न ही खुद विशाल पटेल इसके लिए फिलहाल सक्रिय हो पाए हैं.

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