इंदौर । लगातार चार बार देश में सफाई का नंबर वन शहर बना हुआ है इंदौर. 61 वें नंबर से अव्वल आने तक की इंदौर की कहानी किसी मिशन से कम नहीं है. इस साल पांचवीं बार इंदौर फिर से सफाई के आकाश में ध्रुव तारा बनकर चमकने को तैयार है. आइए चलते हैं एक शहर के कायाकल्प होने के सफर पर.
इंदौर में सफाई काम नहीं, मिशन है
इंदौर लगातार चार बार देश का सबसे साफ सुथरे शहर का तमगा जीत चुका है. पांचवी बार फिर से अव्वल आने की तैयारी है. कचरे के पहाड़ को साफ करके जिस तरह इंदौर सफाई में नंबर वन बना है, वो एक मिसाल है. 2011-12 में इंदौर सफाई के मामले में 61वें नंबर पर था. चार साल बाद 2015 में इंदौर 25 वें पायदान पर आ गया. उसके बाद इंदौर ने इतिहास रचना शुरू किया और तब से लेकर अभी तक स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर के सिर पर सफाई का ताज कायम है.
घर-घर से कचरा उठाया, नंबर वन का ताज पहनाया
2017 में सफाई व्यवस्था का मैनेजमेंट यानि प्रबंधन सुधारने का काम शुरु हुआ. पहली बार घर-घर जाकर कचरा उठाने के लिए प्लानिंग बनीं . उस वक्त शहर में जगह जगह कचरा पेटियां होती थी. उसके आसपास कचरे का ढेर जमा होता था. सबसे पहले इन्हीं कचरा पेटियों को हटाया. इनकी जगह घर से कचरा उठाने के लिए आधुनिक मशीनें और गाड़ियां तैयार की गईं. कॉलोनियों से दिन में एक बार, व्यावसायिक इलाके से दिन में दो बार कचरा इकट्ठा किया जाने लगा. शहर में 10 जगहों पर ट्रांसपोर्ट स्टेशन बनाए गए, जहां से सारा कचरा ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पहुंचाना शुरू हुआ. 2017 में इंदौर शहर पूरी तरह से कचरा पेटी मुक्त हो चुका था. 100% कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन किया जा रहा था. साथ में जागरूकता अभियान भी चल रहा था.
इस बार गीला कचरा अलग, सूखा कचरा अलग
2017 में जो खिताब जीता, उसे कायम रखना इंदौर के लिए बड़ी चुनौती थी. घर-घर से कचरा रेगुलर उठाया जा रहा था. अब नगर निगम ने घर-घर से लिए जाने वाले कचरे को भी गीले और सूखे कचरे में बांट लिया. सूखे कचरे से कई तरह की सामग्री बनाई जाने लगी. गीले कचरे से खाद बनाने के प्लांट शहर में लगाए गए. 2018 में इंदौर शहर के हर गार्डन में कचरा इकट्ठा किया जाने लगा, वो भी गीला कचरा अलग, सूखा कचरा अलग. गार्डन से निकलने वाले वेस्ट से खाद बनाकर उसी गार्डन में काम में ली जाने लगी. सूखा कचरा अलग, गीला कचरा अलग. ये उपलब्धि इंदौर को लगातार दूसरी बार मोस्ट क्लीन सिटी का खिताब दे गया.
तीसरी बार 3R ने किया कमाल
2019 में स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन आने के लिए नगर निगम ने 3R कांसेप्ट को अपनाया. रिसाइकिल, रिड्यूस, रीयूज . इस बार नगर निगम ने इस मंत्र पर काम शुरू किया. नगर निगम के द्वारा वाटर प्लस और सेवन स्टार के लिए शहर में तैयारी की गई. प्रोसेसिंग प्लांट लगाए गए, शहर की दीवारों की रंगाई पुताई की गई. सात हज़ार से ज्यादा सफाई कर्मियों की फौज खड़ी की गई. रात में मशीनों से पूरे शहर की 500 किलोमीटर लंबी सड़कों की सफाई की जाने लगी. गंदगी फैलाने पर जुर्माना भी लगाया गया.
इच्छाशक्ति से सबकुछ मुमकिन हुआ
इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. नगर निगम ने शहर में कचरे के पहाड़ को पूरी तरह से खत्म कर दिया. इंदौर का देश में इतना नाम हुआ कि दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने भी इंदौर नगर निगम से संपर्क किया. दिल्ली में कचरे के पहाड़ को खत्म करने के टिप्स मांगे. इस समय तक इंदौर नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह देशभर में हिट हो चुके थे. आशीष सिंह को टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में भी बुलाया गया. पूरे देश में इंदौर का डंका बज रहा था.
अब नदी-नालों में होती है पार्टियां, खेला जाता है क्रिकेट, फुटबॉल
अब चल रहा है 2021. इंदौर फिर से तैयार है. इस बार फिर से नंबर वन आने के लिए नदी-नालों की सफाई पर जोर है. इसके लिए शहर भर में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं. सीवरेज के गंदे पानी को नदियों में जाने से रोका गया.शहर की नदियां वापस अपने पुराने रंग रूप में लौट रही हैं. शहर के कई गंदे नाले पूरी तरह से सूख चुके हैं. यहां पर चाय पार्टियां हो रही हैं. नालों में ही फुटबॉल और क्रिकेट खेला जा रहा है.
इस बार इंदौर का लगेगा 'पंच' !