MP Congress Protest: राजभवन के घेराव में भीड़ से तय होगा टिकट, कमलनाथ ने मांगी नेताओं की रिकॉर्डिंग
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में टिकट की लॉबिंग अभी से शुरु हो गई है. इतना ही नहीं राजभवन के घेराव के लिए किस जिले से कितने कार्यकर्ता राजधानी पहुंचे इसकी भी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के इशारे पर रिकॉर्डिंग हो रही है. इंदौर से देवास जाने वाले रूट पर 2 कैमरे लगाए गए हैं. जिसके आधार पर संबंधित दावेदारों के समर्थन में भोपाल पहुंचे कार्यकर्ताओं की टीम की रिकॉर्डिंग की गई है.
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Published : Mar 13, 2023, 4:05 PM IST
भोपाल।एमपी चुनाव के पहले हर जिले से बड़ी संख्या में ऐसे दावेदार मौजूद हैं. ये संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से टिकट की मांग कर रहे हैं लेकिन जनाधार विहीन हैं. कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों में भी उनके समर्थकों की भीड़ नदारद रहती है. यही वजह है कि, शिवराज सरकार के खिलाफ राजभवन के घेराव के दौरान शक्ति प्रदर्शन का मौका आया तो प्रदेश कांग्रेस के इशारे पर भोपाल जाने वाले नेताओं की रिकॉर्डिंग कराई गई.
कमलनाथ ने मांगी कार्यकर्ताओं की रिकॉर्डिंग
कितनी गाड़ियां पहुंची भोपाल:रिकॉर्डिंग के लिए इंदौर से भोपाल जाने वाले मार्ग पर दोनों टोल नाकों बायपास एवं सिटी रोड मांगल्या में डिजिटल कैमरें लगाये गए. कांग्रेस की इस हाईटेक व्यवस्था के तहत सुबह 6.30 बजे से सुबह 10.30 बजे की नॉनस्टॉप विडियोग्राफी की गई. जिससे स्पष्ट हो पाए कि कितने नेताओं के साथ कितनी गाड़ियां भोपाल पहुंची हैं.
दावे से मुकर जाते थे नेता:हाल ही में एक मीटिंग इंदौर में आयोजित की गई थी. इसमें सभी विधानसभा के दावेदारों ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ भोपाल पहुंचने के दावे किए थे. हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खबर मिली थी कि, कुछ ही नेता भोपाल कांग्रेस के साथियों सहित पहुंचते हैं. अधिकतर कांग्रेस नेता सिर्फ दिखावा करने के बाद भोपाल कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचते हैं देवास से ही इंदौर लौट जाते हैं.
कमलनाथ ही बनेंगे सीएम:नगर निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भोपाल रवानगी के पहले बताया कि, राजभवन घेराव कार्यक्रम भाजपा की जन विरोधी सरकार को उखाड़ने वाला होगा. एक बार फिर 2023 में कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा भाजपा पिछले कई सालों से सत्ता में रहने के कारण दमनकारी नीति अपना रही है. विधानसभा में विधायकों को भी प्रश्न लगाने से रोका जा रहा है. इसके अलावा जनता के मुद्दे उठाने वाले जनप्रतिनिधियों की आवाज को दवाई जा रही है. यह लोकतंत्र के लिए घातक है यही वजह है कि अब राजभवन का घेराव जरूरी हो गया था.