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यहां गरुड़ देव की तपस्या से प्रकट हुए थे भगवान शिव, दर्शन के लिए आता है नाग-नागिन का जोड़ा

इंदौर का देवगुराड़िया शिव मंदिर पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है. यहां के पंडितों का कहना है कि, श्रावण मास में पहाड़ी जल से भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक एक गोमुख से होता है. दरअसल शिवलिंग के ऊपर की तरफ नंदी के मुख से अपने आप ही प्राकृतिक झरना निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है

Story of Devguradia Shiva Temple
देवगुराड़िया शिव मंदिर की कहानी

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Published : Jul 20, 2020, 5:05 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेस में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी प्राचीनता के साथ ही अपनी मान्यताओं के लिए जानें जाते हैं, इन्हीं में से एक है इंदौर का देवगुराड़िया शिव मंदिर. यह मंदिर होलकर राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक है. पंडितों का कहना है कि, देवी अहिल्याबाई ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के मुताबिक कहा जाता है कि, हर साल यहां प्राकृतिक जल निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और मंदिर के दरवाजे के बाहर बने अमृतकुंड में भर जाता है. ये भी कहा जाता है कि, इस मंदिर में आज भी नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आता है.

देवगुराड़िया शिव मंदिर

करीब 1 हजार साल प्राचीन ये मंदिर बायपास से नेशनल हाईवे 59 बैतूल मार्ग पर स्थित है. आसपास की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा ये मंदिर अपना प्राकृतिक वैभव भी दर्शाता है. जैसे की इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई ने करवाया था, यहां होलकर कालीन राजाओं की देखरेख में रियासत काल में पूजा पाठ होती थी. इस मंदिर की खासियत ये भी है कि, हर साल श्रावण मास में पहाड़ी जल से भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक एक गोमुख से होता है. दरअसल शिवलिंग के ऊपर की तरफ नंदी के मुख से अपने आप ही प्राकृतिक झरना निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और इससे मंदिर के द्वार पर बना अमृत कुंड भर जाता है. फिलहाल इन जल कुंडों में तरह-तरह की मछली, कछुए मौजूद हैं.

देवगुराड़िया शिव मंदिर

गरुड़ ने की थी तपस्या

जानकारों का कहना है कि, यहां गरुड़ ने कठिन तपस्या की थी, इसके बाद यहां भगवान शिव प्रकट हुए थे, तब से यहां भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. मंदिर के पंडित ने बताया कि, होलकर रियासत की देवी अहिल्या शिव भक्त थीं, उन्होंने 18वीं सदी में इस प्राचीन शिव मंदिर का जीणोद्धर करवाया था.

देवगुराड़िया शिव मंदिर की कहानी

मंदिर में कुल 5 कुंड मौजूद हैं

मंदिर में 16 पीढ़ियों से पूजा पाठ करने वाले परिवार का कहना है कि, मंदिर में कुल 5 कुंड मौजूद हैं. पूर्व में दो कुंडों में स्नान किया जाता था. मान्यता है कि, इनका पानी कभी नहीं सूखता और किसी जमाने में इन्हीं कुंडों से आसपास के ग्रामों की प्यास बुझती थी.

नाग-नागिन करते हैं भगवान शिव के दर्शन

इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि, यहां नाग-नागिन का जोड़ा भी दर्शन करने आता है. आज श्रावण का तीसरा सोमवार है, विशेष सहयोग के चलते आज हरियाली अमावस्या का भी संयोग बना हुआ है. प्रदेश भर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बावजूद लोग आज के दिन मंदिरों में बड़ी संख्या में पहुंच कर इस महामारी से मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं.

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