इंदौर। मध्यप्रदेस में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी प्राचीनता के साथ ही अपनी मान्यताओं के लिए जानें जाते हैं, इन्हीं में से एक है इंदौर का देवगुराड़िया शिव मंदिर. यह मंदिर होलकर राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक है. पंडितों का कहना है कि, देवी अहिल्याबाई ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के मुताबिक कहा जाता है कि, हर साल यहां प्राकृतिक जल निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और मंदिर के दरवाजे के बाहर बने अमृतकुंड में भर जाता है. ये भी कहा जाता है कि, इस मंदिर में आज भी नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आता है.
करीब 1 हजार साल प्राचीन ये मंदिर बायपास से नेशनल हाईवे 59 बैतूल मार्ग पर स्थित है. आसपास की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा ये मंदिर अपना प्राकृतिक वैभव भी दर्शाता है. जैसे की इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई ने करवाया था, यहां होलकर कालीन राजाओं की देखरेख में रियासत काल में पूजा पाठ होती थी. इस मंदिर की खासियत ये भी है कि, हर साल श्रावण मास में पहाड़ी जल से भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक एक गोमुख से होता है. दरअसल शिवलिंग के ऊपर की तरफ नंदी के मुख से अपने आप ही प्राकृतिक झरना निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और इससे मंदिर के द्वार पर बना अमृत कुंड भर जाता है. फिलहाल इन जल कुंडों में तरह-तरह की मछली, कछुए मौजूद हैं.
गरुड़ ने की थी तपस्या
जानकारों का कहना है कि, यहां गरुड़ ने कठिन तपस्या की थी, इसके बाद यहां भगवान शिव प्रकट हुए थे, तब से यहां भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. मंदिर के पंडित ने बताया कि, होलकर रियासत की देवी अहिल्या शिव भक्त थीं, उन्होंने 18वीं सदी में इस प्राचीन शिव मंदिर का जीणोद्धर करवाया था.