इंदौर। दुनिया भर में फैली वैश्विक महामारी का असर गरीब मध्यमवर्ग और मजदूरों पर सबसे ज्यादा हुआ है. दो महीने से ज्यादा लॉकडाउन लगने के बाद कामकाज और रोजगार खत्म होने से लाखों की तादात में गरीब परिवार की महिलाएं जनधन खाते से मिलने वाली राशि की उम्मीद लगाए हुए हैं. इंदौर में आलम यह है कि जिन बैंकों के जरिए यह राशि बांटी जानी है, उन बैंकों के बाहर महिलाओं की लाइन सुबह से ही लग जाती है.
ये महिलाएं बैंक खुलने से लेकर राशि मिलने तक दिनभर की जोर आजमाइश करती हैं. इस दौरान मिलने वाली राशि के लिए इन्हें कोरोना संक्रमण का डर नहीं, बल्कि परिवार चलाने की चिंता है. इंदौर के अंतिम चौराहे पर लगी गरीब महिलाओं की इस लाइन को जनधन खाते से घर का खर्चा चलाने की आखरी उम्मीद बची है.
बैंक खुलने के बाद रुपए निकालने का काम भी शुरु हो जाता है. इन्हीं पैसों से अपने परिवार के लिए राशन जुटाकर ये महिलाएं अपने घर पहुंचती हैं. इन खाताधारकों में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जो या तो दिहाड़ी मजदूर हैं या उनके पति रोज कमाकर खाने वाले मजदूर हैं. यही वजह है कि पिछले दो महीने से घरों में कैद रहने के बाद अब रोजी-रोटी के लिए इन्हें गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.