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कोरोना काल में बंद हुआ कोचिंग सेंटर, अब कर रहे डेढ़ एकड़ में स्ट्रॉबेरी का सफल उत्पादन

सागर जिले के केसली के पढ़े लिखे किसान डेढ़ एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है और पांच लाख तक मुनाफा कमा रहे है. इससे पहले वे इंदौर में कोचिंग सेंटर चलाते थे, जो कोरोना के कारण बंद हो गया.

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Published : Jan 25, 2021, 8:01 AM IST

strawberry
स्ट्रॉबेरी की खेती

सागर। जब कोविड की वजह से हजारों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे, तब सागर के केसली निवासी अनिरुद्ध सिंह ने एक कमाल कर दिखाया. वे कोविड के पहले इंदौर में उनके कोचिंग सेंटर चल रहे थे और अच्छी-खासी आय थी, लेकिन कोविड की वजह से बंद हो गई किंतु कोविड उनके हौसले को नहीं बांध सका.

कहानी जिले के केसली विकास खंड की है, यहां के रहने वाले अनिरुद्ध सिंह जो पेशे से वकील है. अनिरुद्ध इंदौर में स्वयं की कोचिंग क्लासेस चलाते थे जो कोरोना काल में बंद हो गयी, तब अनिरुद्ध ने गांव आकर आधुनिक खेती करने की सोची और गांव में खेती को नया आयाम देने की ठानी और अपनी मेहनत के दम पर बुंदेलखंड की धरती पर ठंडे प्रदेशों वाली स्ट्रॉबेरी की फसल लगा दी. आज परिणाम सबके सामने है उन्होंने पहाड़ों पर उगने वाली फसल को इस अंचल में सफलता से उगाकर नया आयाम गढ़ दिया है.

स्ट्रॉबेरी

काेरोना काल में मार्च 2020 से ही कोचिंग का काम बंद हो गयी. जब कोचिंग शुरू होने की सारी उम्मीद खत्म हो गई, तब अगस्त में सागर के केसली निवासी युवा अनिरुद्ध सिंह अपने घर पहुंचे. गांव आकर वे हताश व निराश नहीं हुए, बल्कि कुछ खेती में नवाचार करने का सोचा, उन्होंने तय किया कि वे अपने खेतों में उस फसल का उत्पादन करेंगे, जिसकी उपज के बाद उन्हें मंडी तक न जाने पड़ा, बल्कि व्यापारी ही उनके यहां पहुंचें. हिमाचल प्रदेश के अपने कुछ साथियों व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी प्रदीप परिहार की सलाह पर अक्टूबर में उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की।.

प्रायथ यह खेती पहाड़ी व ठंडक वाले इलाकों में होती है, लेकिन अनिरुद्ध सिंह की मंशा पर उद्यानिकी विभाग ने भी इस खेती को सागर में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में करने का विचार किया. सिंह को उद्यानिकी विभाग ने ड्रिप व मल्चिंग पद्धति से खेती करने की सलाह दी, अक्टूबर के शुरुआत में इसकी बोवनी की गई. इसमें करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आया. 28 दिसंबर से स्ट्राबेरी की तुड़ाई शुरू हुई और मार्च तक पांच बार तुड़ाई की जा सकेगी. लागत व अन्य खर्च निकालकर कुल पांच लाख रुपए के मुनाफे का अनुमान है.

उत्पादन के पहले ही महानगरों से आए ऑर्डर

अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि स्ट्राबेरी के उपज के पहले ही उनके यहां ऑर्डर आना शुरू हो गए, उन्होंने ऑनलाइन ही महानगरों में इसके लिए व्यापरियों से संपर्क किया. अब उनके पास मार्च तक की ऑनलाइन बुकिंग है. इसके लिए मुंबई तक के व्यापारी उससे संपर्क कर चुके हैं. अनिरुद्ध ने बताया कि सप्लाई के लिए उन्होंने 200-200 ग्राम के छह पैकेट के बॉक्स तैयार किए हैं. वर्तमान में 200 से अधिक बॉक्स की सप्लाई केवल इंदौर में ही की जा चुकी है. आने वाले दिनों में मुंबई में भी इसकी सप्लाई की जाएगी, जहां दाम भी अच्छे मिलने वाले हैं.

डेढ़ एकड़ में स्ट्रॉबेरी का सफल उत्पादन

अनिरुद्ध के मुताबिक थोक में स्ट्रॉबेरी के दाम प्रतिकिलो 300 रुपये तक मिल रहे हैं. वहीं मुंबई में दाम 360 रुपए प्रतिकिलो मिलने की उम्मीद है. उन्हें लागत निकालकर डेढ़ एकड़ जमीन में लगाई स्ट्रॉबेरी से पांच लाख रुपये की आय की उम्मीद है. अब वे मार्च में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन बंद होने के बाद इस जमीन पर मल्चिंग पद्धति से ही शिमला मिर्च की फसल लगाएंदे. और अगले सीजन में फिर से स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करेंगे.

गौरतलब हैकि अनिरुद्ध सिंह परिहार जैसे पढ़े लिखे किसान ने केसली विकास खंड जो आदिवासी बहुल विकास खंड है यहां के किसानों को आधुनिक और लाभकारी कृषि की एक नई दिशा दिखाई है. अनिरुद्ध की फसल का अब तक हजारों किसान अवलोकन कर चुके है और आगामी सीजन में खुद यह फसल लेने के बारे में सोच रहे हैं.

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