सागर। जब कोविड की वजह से हजारों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे, तब सागर के केसली निवासी अनिरुद्ध सिंह ने एक कमाल कर दिखाया. वे कोविड के पहले इंदौर में उनके कोचिंग सेंटर चल रहे थे और अच्छी-खासी आय थी, लेकिन कोविड की वजह से बंद हो गई किंतु कोविड उनके हौसले को नहीं बांध सका.
कहानी जिले के केसली विकास खंड की है, यहां के रहने वाले अनिरुद्ध सिंह जो पेशे से वकील है. अनिरुद्ध इंदौर में स्वयं की कोचिंग क्लासेस चलाते थे जो कोरोना काल में बंद हो गयी, तब अनिरुद्ध ने गांव आकर आधुनिक खेती करने की सोची और गांव में खेती को नया आयाम देने की ठानी और अपनी मेहनत के दम पर बुंदेलखंड की धरती पर ठंडे प्रदेशों वाली स्ट्रॉबेरी की फसल लगा दी. आज परिणाम सबके सामने है उन्होंने पहाड़ों पर उगने वाली फसल को इस अंचल में सफलता से उगाकर नया आयाम गढ़ दिया है.
काेरोना काल में मार्च 2020 से ही कोचिंग का काम बंद हो गयी. जब कोचिंग शुरू होने की सारी उम्मीद खत्म हो गई, तब अगस्त में सागर के केसली निवासी युवा अनिरुद्ध सिंह अपने घर पहुंचे. गांव आकर वे हताश व निराश नहीं हुए, बल्कि कुछ खेती में नवाचार करने का सोचा, उन्होंने तय किया कि वे अपने खेतों में उस फसल का उत्पादन करेंगे, जिसकी उपज के बाद उन्हें मंडी तक न जाने पड़ा, बल्कि व्यापारी ही उनके यहां पहुंचें. हिमाचल प्रदेश के अपने कुछ साथियों व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी प्रदीप परिहार की सलाह पर अक्टूबर में उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की।.
प्रायथ यह खेती पहाड़ी व ठंडक वाले इलाकों में होती है, लेकिन अनिरुद्ध सिंह की मंशा पर उद्यानिकी विभाग ने भी इस खेती को सागर में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में करने का विचार किया. सिंह को उद्यानिकी विभाग ने ड्रिप व मल्चिंग पद्धति से खेती करने की सलाह दी, अक्टूबर के शुरुआत में इसकी बोवनी की गई. इसमें करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आया. 28 दिसंबर से स्ट्राबेरी की तुड़ाई शुरू हुई और मार्च तक पांच बार तुड़ाई की जा सकेगी. लागत व अन्य खर्च निकालकर कुल पांच लाख रुपए के मुनाफे का अनुमान है.