इंदौर। प्रदेश में पहले से ही कोविड महामारी के चलते हाहाकार मचा रखा है. इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है. अस्पतालों में डॉक्टर लगातार अपनी 5 सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर प्रदेश भर में जूनियर डॉक्टरों द्वारा हड़ताल पर चले गए हैं. जूनियर डॉक्टर के अध्यक्ष प्रखर चौधरी ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा उनकी मांगे नहीं मानने पर आने वाले समय में और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
जूनियर डॉक्टर्स की मांग 'अनदेखी'
पांच सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार को एक बार फिर प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के जूनियर डॉक्टर पर चले गए हैं. जूनियर डॉक्टर की पिछले एक साल से अपनी मांग को लेकर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री को अवगत कराया जा रहा है. लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. लगातार प्रदेश सरकार जूनियर डॉक्टर को झूठा आश्वासन देकर काम करवा रहे हैं. हमारी मांगों को लगातार अनदेखा कर रहे हैं. सरकार के आने वाले समय में मांग पूरी करने का केवल आश्वसन दिया था लेकिन अभी तक डॉक्टर्स की मांगों पर कोई विचार विमर्श नहीं हुआ है. जिसके चलते जूडा हड़ताल पर जाने पर मजबूर हुए हैं. कुछ दिनों पहले भी 'जुड़ा' ने हड़ताल की थी. इस दौरान जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग से भी मिले थे.
मारपीट से डरे हुए हैं 'डॉक्टर्स'
प्रमुख मांगों में जूनियर डॉक्टर्स की सिक्योरिटी है, जो सरकार उन्हें उपलब्ध नहीं करा रही है. आए दिन अस्पतालों में डॉक्टरों से मारपीट हो रही है और बीच-बचाव में कोई डॉक्टर कुछ करते हैं तो उन्हें ही दोषी ठहराया जा रहा है. जूनियर डॉक्टर की मांग है कि सरकार प्रदेश के सभी कोविड अस्पतालों में उनकी सेफ्टी के लिए सुरक्षा गार्ड लगाए. दूसरा कोरोना काल में कई डॉक्टर ड्यूटी ले दौरान संक्रमित भी हुए हैं. इसके साथ ही कई साथी डॉक्टर जान गंवा चुके हैं, डॉक्टर इन सब घटनाओं लेकर पहले से ही डरे हुए हैं. इसलिए डॉक्टर नहीं चाहते हैं कि आगे भी इस तरह की हालात बने. इसके लिए सरकार से कड़े नियम की मांग कर रहे हैं. अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए एक अलग से हर अस्पताल में 10% बेड डॉक्टरों के लिए रिजर्व हो, ताकि डॉक्टरों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े. चूंकि लोगों की सेवा करने वाले डॉक्टर खुद कोरोना के चलते बीमार होते हैं तो उन्हें तत्काल उपचार की सुविधा मिले.
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