इंदौर।कोरोना संक्रमण के कारण एक ओर जहां बड़े बड़े उद्योगों पर इसका असर हुआ है तो वहीं कई अन्य आम लोगों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है. कोरोना ने इंदौर के मिल्खा सिंह के पैर आर्थिक तंगी की बेड़ियों ने बांध दिए हैं. मजबूरी ऐसी की लॉकडाउन में पिता की चाय की दुकान बंद होने के बाद अब घर चलाने की समस्या आ खड़ी हुई है. एक कमरे में रहने वाले 5 सदस्य परिवार में मौजूद इंदौर का यह मिल्खा सिंह 39 घंटे में 262 किलोमीटर की दौड़ लगा चुका है, लेकिन अब आर्थिक तंगी की वजह से ना तो वह अपने खेल पर ध्यान दे पा रहा है, ना ही अपनी पढ़ाई पर.
इंदौर का मिल्खा सिंह कहे जाने वाले कार्तिक जोशी का नाम पूरे देश में पहचाना जाता है. कार्तिक ऐसी रेस में हिस्सा लेते हैं जिसे की कोई दौड़ने के लिए सोच भी नहीं सकता. देश में सबसे कम उम्र में लंबी दौड़ लगाने वाले बुधिया को तो सब जानते है, लेकिन एक गुमनाम प्रतिभा इंदौर शहर में भी है जो प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रहा है. इंदौर में रहने वाला कार्तिक नॉनस्टॉप रन में हिस्सा लेता है, यह रन बिना रुके लगातार कई घंटों तक जारी रहती है. कार्तिक जोशी का सपना ओलंपिक में देश को पदक दिलाने का है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर हो पाने के कारण अब कई समस्याएं कार्तिक जोशी के सामने खड़ी हो गई है.
कार्तिक के घर का खर्च पिता की चाय की दुकान से चलता था, जिसमें पूरे परिवार का गुजारा हो जाता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन में पिता की चाय की दुकान पूरी तरह से बंद हो गई. अब पिता ऑनलाइन सामान डिलीवरी करने का काम कर रहे हैं, लेकिन उसमें परिवार का गुजर-बसर होना मुश्किल है. एक कमरे के घर में 5 सदस्यों का परिवार अपना गुजारा कर रहा है, लेकिन कार्तिक ने इसके बावजूद अपने खेल को नहीं छोड़ा है. पिता का सपना है कि कार्तिक वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग ले, और जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन करे, यही कारण है कि पिता 8 घंटे की ड्यूटी को भी 12 घंटे तक बिना थकान के कर रहे हैं.
इंडियाज बैकयार्ड अल्ट्रा रन में सबसे आखरी तक दौड़ा था कार्तिक