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दीपावली पर भी रोशन नहीं हुआ प्रदेश का गारमेंट हब, 60 फीसदी घाटे में बाजार

इंदौर का रेडीमेड गारमेंट बाजार दशहरे और दीपावली पर भी ग्राहकी से रोशन नहीं हो सका. दीपावली के बाद भी अपनी दुकानों में भरा माल बेचने के लिए ग्राहकों के इंतजार कर रहे है. लिहाजा प्रदेश में रेडीमेड गारमेंट सेक्टर फिलहाल 60 फीसदी घाटे से जूझ रहा है.

Readymade garment sector of Indore suffered losses
गारमेंट सेक्टर को हुआ नुकसान

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Published : Dec 21, 2020, 6:05 PM IST

इंदौर। दुनिया भर में कोरोना महामारी के कारण छाई आर्थिक मंदी से उबरने की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश का रेडीमेड गारमेंट सेक्टर दशहरे और दीपावली पर भी ग्राहकी से रोशन नहीं हो सका. प्रदेश के रेडीमेड गारमेंट हब इंदौर में आलम यह है कि यहां की मैन्युफैक्चरिंग यूनिटें मुंबई, दिल्ली और लुधियाना की मिलें और फैक्ट्री शुरू होने के इंतजार में है. वही शहर के रिटेल दुकानदार दीपावली के बाद भी अपनी दुकानों में भरा माल बेचने के लिए ग्राहकों के इंतजार कर रहे है. लिहाजा प्रदेश में रेडीमेड गारमेंट सेक्टर फिलहाल 60 फीसदी घाटे से जूझ रहा है. हालांकि अब ग्राहकी बढ़ने से व्यापार के फिर संभलने की उम्मीद जताई है.

गारमेंट सेक्टर को हुआ नुकसान
दुकानों पर भीड़ के बावजूद खरीदारी 40 फीसदी भी नहीं हुईइंदौर के ख्यात कपड़ा मार्केट के अलावा जेल रोड, एमजी रोड मालवा मिल, किशनपुरा छत्रिय के अलावा शहर भर में सैकड़ों की तादात में मौजूद इन दुकानों पर भीड़ के बावजूद खरीदारी 40 फीसदी भी नहीं है. दरअसल शहर का रेडीमेड गारमेंट उद्योग लॉकडाउन के बाद से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा था. इस बीच दशहरे से लेकर ईद और दीपावली को लेकर बंधी उम्मीद भी मनमाफिक ग्राहकी ना होने से टूट गई. इन हालातों में शहर के सैकड़ों थोक और फुटकर कपड़ों के दुकानदार दिल्ली,मुंबई और लुधियाना से लाखों का जो माल दशहरे से लेकर दीपावली तक इंदौर समेत मालवा निमाड़ में बेचने के लिए उधारी में लाए थे. वह भी दुकानों और गोदामों में जस का तस भरा पड़ा है. दरअसल ग्राहकी ना होने के कारण ना तो फुटकर व्यापारी थोक विक्रेताओं का पेमेंट कर पाए ना ही थोक व्यापारी रिटेलर की डिमांड नहीं होने के कारण अन्य शहरों से माल खरीद पाए. इन हालातों में मार्च से लेकर अब तक बाजार में छाई मंदी और तमाम चुनौतियों के कारण इंदौर समेत मालवा निमाड़ के रेडीमेड गारमेंट उद्योग को 60 फीसदी तक के घाटे की मार झेलनी पड़ी है. हालांकि अब दीपावली के बाद गारमेंट उद्योग में मुहूर्त के सोदे और बाजार में ग्राहकी बढ़ने के कारण अब इस सेक्टर को फिर संभलने की उम्मीद बंधी है.
गारमेंट सेक्टर को हुआ नुकसान
फायदे में मैन्युफैक्चरिंग यूनिटलॉकडाउन और कोरोना महामारी के कारण मार्च से ही बंद पड़ी मुंबई,दिल्ली और लुधियाना कीमैन्युफैक्चरिंगयूनिट और मिलो से जो खरीदी देशभर के व्यापारी करते थे. उन्होंने इस बार अधिकांश खरीदी इंदौर से की है. लिहाजा इंदौर की करीब 22 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में मार्च माह तक जो माल तैयार हुआ. वह इस बार दीपावली पर पूरा बिक चुका है. इस बार सबसे ज्यादा खरीदी दक्षिणी राज्यों ने की है, जबकि महाराष्ट्र गुजरात राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के भी विभिन्न जिलों ने खरीदारी लगभग ना के बराबर की है. मैन्युफैक्चरिंग यूनिटओं का पूरा माल बिग जाने से व्यापारियों ने इस बार राहत की सांस ली है. मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और व्यापारी इसलिए भी खुश हैं की इंदौर में आयोजित इंटरनेशनल फेयर में कपड़ों की जो बुकिंग हुई थी. लॉकडाउन में बुकिंग कैंसिल होने के बाद भी अब वही माल दशहरे से लेकर दीपावली तक बिक गया है. इस स्थिति के बावजूद भी पिछले साल की तुलना में प्रदेश के गारमेंट उद्योग को 60 फीसदी कम व्यापार की मार झेलनी पड़ी है.
फायदे में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट
इंदौर और जबलपुर में है मैन्युफैक्चरिंग यूनिटप्रदेश में रेडीमेड गारमेंट तैयार करने का काम इंदौर के अलावा जबलपुर में होता है. खास बात यह है कि इंदौर के आसपास करीब 300 किलोमीटर के दायरे में ऐसे सैकड़ों गांव हैं. जहां लोग कच्चा माल ले जाकर सिलाई कर कपड़े तैयार कर व्यापारियों को लौटा जाते हैं. लिहाजा इंदौर और जबलपुर की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बड़े पैमाने पर ग्रामीण अंचल में गारमेंट संबंधी रोजगार भी उपलब्ध कराती हैं.

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