इंदौर। मध्य प्रदेश पुलिस के तमाम दावे और चाइल्ड लाइन जैसी संस्थाएं होने के बावजूद मध्य प्रदेश मानव तस्करी का गढ़ बन रहा है. स्थिति यह है कि देशभर से हर साल गायब होने वाले बच्चों में से 80 फीसदी बच्चे मध्य प्रदेश के हैं. जिनमें भी सर्वाधिक संख्या इंदौर के बच्चों की है. इस स्थिति के मद्देनजर अब आईआईएम इंदौर और इंदौर पुलिस मिलकर बाल अपराध और मानव तस्करी के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाएंगे. इस दिशा में पहली बार इंदौर पुलिस और iim के बीच बाल अपराध और मानव तस्करी से जुड़े विषय कर एक MOU साइन किया गया है.
गायब बच्चों में 80 फीसदी बच्चियां:दरअसल मध्यप्रदेश में हर साल गायब होने वाली बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जो बच्चे गायब हो रहे हैं उनमें भी 80 फीसदी बच्चियां हैं. इनमें आदिवासी अंचल के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे ज्यादा हैं जो कई सालों से लापता हैं. लिहाजा अब इन बच्चों की मानव तस्करी की नेटवर्किंग की पड़ताल के साथ ऐसे बच्चों के घर छोड़कर जाने के कारणों पर एक संयुक्त एमओयू साइन किया गया है. अपनी तरह के इस कार्यक्रम में आई एम इंदौर पुलिस के साथ मिलकर एक ऐसे रिसर्च पर काम करेगी जिसमें दर्शाया जाएगा कि बच्चों के घर छोड़कर जाने के क्या कारण हैं अथवा उन्हें अगवा किस कारण से और कहां के लिए किया जा रहा है.
गायब होने के 2 फैक्टर: आईआईएम इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय ने बताया ''बच्चों के घर छोड़कर जाने के 2 फैक्टर होते हैं. जिसमें पुल फैक्टर और पुष फेक्टर एक बड़ी वजह होती है. जो मिसिंग बच्चे हैं उनके घर छोड़कर जाने में दो तरह के फैक्टर होते हैं एक pull factor बाहर का आकर्षण और एक push factor घर का तनाव और दुर्व्यवहार. जिसके चलते बच्चे लापता हो जाते हैं. इसके अलावा मानव तस्करी के अपराध से जुड़े ऐसे भी नेटवर्क हैं जिनके चंगुल में फंसने के बाद बच्चे गायब हो जाते हैं.''