इंदौर। विजय नगर पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले गिरफ्तार किए गए मंत्री तुलसी सिलावट के ड्राइवर के मामले में खुलासा किया है. पुलिस ने इस मामले में मंत्री के ड्राइवर गोविंद राजपूत को क्लीन चिट दे दी है. वहीं इस मामले में अब पुलिस को बंटी नाम के एक शख्स की तलाश है.
आरोपी ने लिया था मंत्री के ड्राइवर का नाम
बता दें कि इंदौर पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी पूर्णिमा गडरिया के ड्राइवर पुनीत अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. पुनीत अग्रवाल ने मीडिया के सामने मंत्री तुलसी सिलावट के ड्राइवर गोविंद राजपूत से इंजेक्शन खरीदने की बात कही थी. पुलिस ने बताया कि गोविंद राजपूत खुद ही बयान देने के लिए पुलिस के सामने आया था. और गोविंद ने पुलिस के सामने खुद को बेकसूर बताया.
पुलिस जांच में गोविंद को क्लीन चिट
पुलिस ने बताया कि पूछताछ में गोविंद राजपूत ने उन्हें कई अहम जानकारी दी. गोविंद राजपूत ने पुलिस को बताया कि वो और पुनीत एक ही कंपनी के लिए काम करते हैं इसलिए दोनों की जान पहचान थी. गोविंद ने बताया कि कोविड के लक्षण दिखने पर उसन खुद ही पुनीत अग्रवाल से 14 हजार में 2 इंजेक्शन खरीदे थे. लेकिन इंजेक्शन के इस्तेमाल नहीं होने पर उसने वो दोनों इंजेक्शन फिर से पुनीत को दे दिए. इसके एवज में पुनीत ने 10 हजार रुपए वापस लौटाकर बचे हुए 4 हजार बाद में लौटाने की बात भी कही थी. पुलिस ने बताया कि जांच में गोविंद का बयान सही पाया गया है. वहीं पुनीत ने इस मामले में पुलिस को बंटी नाम के शख्स के बारे में जानकारी दी है.
संजय शुक्ला का ड्राइवर भी रह चुका पुनीत
जांच में पुलिस को पुनीत अग्रवाल के आपराधिक प्रवत्ति का होने की जानकारी लगी है. पुनीत को उसके घर वाले बेदखल कर चुके हैं. पुनीत ने कई लोगों से पैसा उधार ले रखे था ऐसे में उसके परिवार ने जाहिर सूचना भी जारी की थी. 2017 में परिवार से अलग होने के बाद पुनीत ने ओमेक्स सिटी में रहकर टेली परफार्मेंस काल सेंटर में कुछ दिन नौकरी की. उसके बाद साल 2019 में विधायक संजय शुक्ला का ड्राइवर रहा, लेकिन इस दौरान संजय शुक्ला के बेटे से विवाद होने के बाद उसने नौकरी छोड़ दी, फिर इसके बाद वो एक निजी कंपनी में ड्राइवर बन गया. यह कंपनी डीआरपी लाइन में पुलिस अधिकारियों और शासकीय अधिकारियों को ड्राइवर उपलब्ध करवाती है.