इंदौर।महानगर बनते इंदौर की स्वच्छता और विकास भले शहर का उजला पक्ष हो, लेकिन इस शहर से सटे कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं. जहां विकास की बयार अब तक नहीं पहुंची है. सांवेर विधानसभा के ऐसे ही गांव हैं खाकरोड, राम पिपलिया, तोड़ी और परलीयां. जहां के लोगों को अपने घर जाने के लिए गंदे नाले जैसी नदी कपड़े उतार कर पार करनी होती है. यहां पुरुष हो या महिला यदि करीब के रास्ते से घर पहुंचना है, तो उन्हें अपने कपड़े उतार कर गंदे और बदबूदार पानी से भरी नदी पार करने के लिए अर्धनग्न होना ही पड़ता है. बीते 4 दशकों से यह त्रासदी झेल रहे लोगों ने अब फैसला किया है कि नदी पर पुल नहीं तो किसी भी पार्टी को वोट भी नहीं. इंदौर के सांवेर से सिद्धार्थ माछीवाल की खास रिपोर्ट.
जनप्रतिनिधि से गुहार लगाकर थके ग्रामीण: दरअसल इंदौर से महज 15 किलोमीटर दूर सांवेर विधानसभा के खाकरोड़ गांव के लगभग 1700 रहवासी बीते 40 साल से मिल रहे आश्वासनों के बाद भी इंदौर शहर से गंदे पानी को प्रवाहित करने वाली कान्ह नदी पर पुल बनने का इंतजार कर रहे हैं. यही स्थिति अन्य तीन गांव के 5000 लोगों की है. 4 दशकों से उनके सब्र का आलम यह है कि गांव में नदी पार नहीं कर सकने योग्य बच्चों की पढ़ाई लिखाई छूट गई, जो महिलाएं लोक लाज के दर से कपड़े उतारने से डरती हैं. उन्होंने नदी के रास्ते गांव से निकलना ही छोड़ दिया. गांव के अन्य लोग क्षेत्रीय विधायक तुलसी सिलावट, पूर्व विधायक राजेश सोनकर, पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और अन्य तमाम नेताओं से गुहार लगाते-लगाते थक गए, लेकिन इन गांवों के रास्ते की तस्वीर नहीं बदली. बरसात के दिनों में जब नदी फुल होती है, तो गांव से निकलने का एकमात्र रास्ता भी बंद हो जाता है. इस त्रासदी को झेलने के बाद अब ग्रामीणों को मौका मिला है. अपनी बात प्रभावशाली तरीके से कहने का. इन चुनाव के पहले उन्होंने पुल नहीं बनने की स्थिति में मतदान के ही बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.