इंदौर।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर (IIT Indore) और राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र ने शनिवार को संयुक्त रूप से 'लैब-टू-लैंड इकोसिस्टम: चुनौतियां और अवसर' विषय पर ऑनलाइन माध्यम से कार्यशाला का आयोजन किया. आरआरकेट के निदेशक प्रो. एसवी नाखे और आईआईटी इंदौर के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एन.के जैन ने कार्यशाला की शुरुआत की.
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शोधकर्ताओं, इंजीनियरों, उद्योग विशेषज्ञों, छात्रों और वैज्ञानिकों को लैब-टू-लैंड इकोसिस्टम भारतीय संदर्भ में चुनौतियां और अवसर के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक साथ लाना है. चूंकि वर्तमान में दुनिया तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा द्वारा संचालित हो रही है. अनुसंधान एवं विकास के प्रयोगशाला से भूमि में परिवर्तन की मांग बढ़ रही है. जो मूल रूप से उद्योग स्टार्ट-अप नए उत्पादों आदि द्वारा अपनाई गई शोध है. यह लैब, भूमि परिवर्तन एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से ही संभव है. जहां चुनौतियों को अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से अवसरों में परिवर्तित किया जाता है.
कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पारिस्थितिकी तंत्र में समग्र परिवर्तन लाने के लिए कार्यशाला कराते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को बेरोजगारी सहित कई ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं को दूर करने के लिए उद्योगों, स्टार्टअप और प्रयोगशालाओं में विकसित प्रौद्योगिकयों को सुचारू रूप से अपनाने की जरूरत है. ये प्रयास सरकार की आत्म निर्भर भारत पहल के अनुरूप हैं भारत का और भारत के विकसित राष्ट्र बनने का एक तरीका है.