Krishna Janmashtami 2023: इंदौर के 200 साल पुराने श्री कृष्ण मंदिर में अनोखी मान्यता का चलन, बड़ी संख्या में पहुंचती हैं महिलाएं
इंदौर में 200 साल पुराने श्री कृष्ण मंदिर की पहचान अपनी एक अनोखी मान्यता को लेकर है. यहां दूर दराज से लोग श्रीकृष्ण की चौखट तक आते हैं. इसमें विदेशी लोग भी भगवान कृष्ण के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां भगवान कृष्ण के साथ साथ उनकी मां यशोदा की भी पूजा की जाती है.
इंदौर।देशभर में जन्माष्टमी की धूम है. ऐसे में इंदौर शहर में भी उत्सव को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. शहर के कृष्ण मंदिर फूल-मालाओं से सज गए हैं. यहां जोरों शोरों से पूजा और आरती की तैयारियां की जा रही है. जन्माष्टमी होने की वजह से बड़ी तदाद में लोग मंदिर पहुंच रहे हैं.
साथ ही इन भक्तों में विदेशी भक्त भी शामिल हैं. इन सभी को भी भजन गीतों पर डांस करते देखा जा सकता है. ऐसे में हम आपको शहर में स्थित एक बेहद पुराने मंदिर से जुड़ी अनोखी मान्यता के बारे में बता रहे हैं.
इंदौर में भगवान कृष्ण के सबसे पुराने मंदिरों में से एक श्री कृष्ण मंदिर को पूरी तरह से सजा दिया गया है. जन्माष्टमी के मौके पर पूरे मंदिर में श्रृंगार किया गया है. यहां भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों का उत्साह देखने को मिल रहा है. इस मंदिर से जुड़ी एक अनोखी मान्यता है, जिस वजह से आसपास के इलाके के लोग भी इस मंदिर पर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
क्या है मान्यता: 200 साल पुराने इस मंदिर में बड़े ही अनोखे तरीके से न सिर्फ भगवान कृष्ण का श्रृंगार किया है, बल्कि उनकी माता यशोदा का भी श्रृंगार किया है. यहां को लेकर एक मान्यता प्रचलित है. मंदिर के पुजारी महेंद्र दीक्षित बताते हैं कि मान्यता के तहत अगर किसी भी महिला को जब बच्चे नहीं होते हैं, तो उस महिला की तरफ से, यहां पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आकर माता यशोदा की गोद भराई की रस्म की जाती है. जिससे उस महिला को पुत्र प्राप्ति हो जाती है. इसी मुराद के चलते लोग दर्शन के लिए आते हैं. इनमें महिला भक्तों की तदाद ज्यादा होती है. इस बार भी जन्माष्टमी के मौके पर विदेशों से भी भक्त पहुंचे हैं.