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वेबसाइट के जरिए होगी पीएम आवास योजना के तहत बने मकानों की बिक्री, निगम ने लॉन्च की वेबसाइट

इंदौर के अलग-अलग इलाकों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे मकानों को बेचने के लिए अब नगर निगम ने वेबसाइट लॉन्च की है. ये मकान बेचना निगम के लिए चुनौती बन गया है, इसी के बात निगम ने ये वेबसाइट लॉन्च करने का फैसला लिया है.

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इंदौर

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Published : Nov 16, 2020, 10:15 AM IST

इंदौर।नगर निगम के द्वारा इंदौर शहर के अलग-अलग इलाकों में पीएम आवास योजना के मकान बनाए जा रहे हैं, जिन्हें बेचने के लिए अब नगर निगम ने वेबसाइट लॉन्च की है. इससे पहले मकानों को बेचने के लिए नगर निगम के द्वारा एक निजी एजेंसी को भी काम सौंपा जा चुका है, लेकिन उसके बावजूद इन मकानों को बेचना नगर निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर आ रहा है.

इंदौर में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाए जा रहे मकानों को बेचना नगर निगम के लिए चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. शहर में लोगों की आवास समस्या को हल करने के लिए प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर इन फ्लैट को उपलब्ध कराने की योजना तीन साल पहले शुरू कर ली थी. शहरी आवास योजना के अंतर्गत इन मकानों को तैयार किया जा रहा था, लेकिन लगातार लोगों की पहुंच अभी भी इनसे दूर बनी हुई थी. इसके लिए नगर निगम के द्वारा एक निजी एजेंसी को काम सौंपने के बावजूद मकान के खरीदार नहीं मिल रहे थे, जिसके बाद अब नगर निगम ने वेबसाइट लॉन्च कर सभी जानकारी एक ही जगह उपलब्ध कराने का फैसला किया है.

2022 तक पूरा करना है लक्ष्य

प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नगर निगम को 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है. जिसमें नगर निगम को 66 हजार से अधिक फ्लैट बना कर तैयार करना है. नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना में राजीव आवास योजना को भी शामिल कर दिया है, योजना में बनने वाले फ्लैट की कीमत बाजार मूल्य से 25% कम रखी गई है.

1BHK से लेकर 3BHK तक के फ्लैट हैं मौजूद

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इंदौर नगर निगम ने 20 हजार 581 फ्लैट्स के विकास की योजना पूरी तरह से तैयार कर ली है, जिसमें 12 हजार 200 1BHK फ्लैट और 7 हजार 576 2BHK फ्लैट हैं. वहीं 782 3BHK फ्लैट से जो कि शहर में अलग-अलग स्थानों पर तैयार किए जा रहे हैं.

नगर निगम के द्वारा इससे पहले भी विज्ञापन के जरिए लोगों को इन मकानों तक लाने की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित होने के कारण प्रशासन को इन फ्लैटों तक आम जनता को पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो रहा है.

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