इंदौर। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में बीते दिनों विवादित किताब से पढ़ाने सहित कई गंभीर आरोपों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हंगामा किया था. जिसके बाद एक जांच कमेटी बनाई गई थी, अब जांच समिति ने जांच शुरू कर दी है. कॉलेज की लाइब्रेरी को सील कर दिया गया है. उधर मामले में महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. सुधा सिलावट का नाम आने के बाद उनके पति उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ. सुरेश सिलावट जांच समिति से हट गए हैं. लॉ कॉलेज में पिछले दिनों किताब में छपे कंटेंट के बाद पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. मामले में कार्रवाई के साथ जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है.
जल्द हो सकती है दोषियों की गिरफ्तारी पूर्व प्राचार्य के समय में खरीदी गई थी विवादित पुस्तक: विवादित पुस्तक मामले में एक और मोड़ आ गया है. ये पता चला कि लॉ कालेज में विवादित किताब 2015 में खरीदी गई थी. उस समय डॉ सुधा सिलावट कॉलेज की प्राचार्या थीं, जो उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ सुरेश सिलावट की पत्नी हैं और मौजूदा कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट की बहू हैं. कॉलेज की तीन सदस्यीय समिति ने किताबों की सूची को मंजूरी दी थी, जिसमें सामूहिक हिंसा व दांडिक न्याय पद्धति भी शामिल थी. वर्ष 2019 में इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया था. बावजूद इसके विद्यार्थियों को इसी किताब से पढ़ाया जा रहा था. एबीवीपी का कहना है कि मामले को जानबूझकर मोड़ा जा रहा है और पूर्व प्राचार्या को टारगेट किया जा रहा है. जबकि वर्तमान की पूरी जिम्मेदारी अभी के प्राचार्य की है.
महाविद्यालय के प्राध्यापकों के लिखित में लिए बयान: एबीवीपी की शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग की समिति ने अपना काम शुरू कर दिया है. समिति ने रविवार को महाविद्यालय के प्राध्यापकों के कुछ बयान लिए. यह बयान लिखित रूप से लिये गए हैं. समिति ने उन बिंदुओं को अपनी जांच में लिया है, जिन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपने ज्ञापन में आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी.
मंगलवार को छात्रों के लिए जाएंगे बयान:मामले में जांच समिति सदस्य डॉ. किरणबाला सलूजा ने बताया कि समिति मंगलवार को कॉलेज आकर विद्यार्थियों से बयान लेगी. वहीं प्रतिबंधित किताब कॉलेज की लाइब्रेरी में मिलने के बाद लाइब्रेरी को सील कर दिया गया है. विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि लाइब्रेरी से किताबें सामग्री हटाई जा रही थी. जिसकी शिकायत पुलिस से की गई और लाइब्रेरी को सील किया गया.
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यह है पूरा मामला: इंदौर के लॉ कॉलेज में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को नमाज के लिए छुट्टी करने, महाविद्यालय के प्रोफसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां चलाए जाने, लव जिहाद को प्रमोट करने के तमाम आरोपों को लेकर एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था. जिसके बाद 5 प्रोफेसरों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था. एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि, महाविद्यालय के प्रोफेसर कॉलेज में कश्मीर से 370 धारा हटाए जाने का विरोध करते थे. इसके अलावा, वे देश और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी किया करते थे. इतना ही नहीं, प्रोफेसर कॉलेज की छात्राओं को अकेले में मिलने के लिए कहते थे. इस पूरे मामले से प्रदेश सरकार बेहद नाराज है. मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.
पुस्तक में पंजाब में भी हिंदुओं को टारगेट किया गयाः किताब के अनुसार 'हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है. पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी संगठन मोर्चा खोल चुके हैं. अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने में लगे हैं. हिंदू शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है. किताब में लिखा है कि जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जानी थी, तो अयोध्या मंदिर इस कानून की सीमा से बाहर कैसे किया गया. RSS ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से ऊपर रखें ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे. हिंदुत्व का नारा बराबर ताजा बना रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके परिवार की संस्थाएं सब सांप्रदायिक हैं. यह हिंदूवाद की बात करती है और हिंदू धर्म को संविधान और देश के ऊपर मानती हैं. उनकी राष्ट्र की परिभाषा ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र और वर्तमान संविधान तक को वे विदेशी मानते हैं. जैसे विवादित अंश लिखे हुए हैं. (controversial book indore in law college library)