इंदौर।इंदौर के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में कट्टरता की नॉलेज देने वाली किताब को लेकर उठा विवाद बढ़ गया है. इस मामले में शनिवार को भी कॉलेज में जमकर हंगामा हुआ. हिंदू विरोधी किताब पढ़ाए जाने के मामले में कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर इमान उर रहमान ने इस्तीफा दे दिया है. 5 शिक्षकों को भी निलंबित कर दिया गया है. पूरे मामले में इंदौर पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है. घटना से भड़की बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने आरोपियों के साथ ही किताब की लेखिका और प्रकाशक पर भी सख्त कार्रवाई की मांग की है.
इंदौर लॉ कॉलेज के लाइब्रेरी में विवादित किताब लॉ कॉलेज किताब मामले पर शासन कर रहा कार्रवाई:इस मामले में अब शासन, प्रशासन ने भी हस्तक्षेप किया है. उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को मामले की जांच करने कॉलेज भेजा है. उन्होंने कहा कि शासकीय विधि महाविद्यालय, इंदौर में धार्मिक कट्टरता फैलाने के मामले में शिक्षकों की भूमिका और विवादित किताब की भी जांच की जाएगी. विवादित किताब एक निजी प्रकाशन की बताई जा रही है. यादव ने कहा है कि मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कॉलेज प्रबंधन ने धार्मिक कट्टरता और अनुशासनहीनता की शिकायत के आधार पर प्रोफेसर अमित खोकर, डॉ मिर्जा मौजूद बैग, डॉक्टर फिरोज अहमद मीर, प्रोफेसर सोहेल अहमद वानी, प्रोफेसर मिलिंद कुमार गौतम और डॉ पूर्णिमा बीसे को पहले ही 5 दिन के लिए शैक्षणिक कार्य से मुक्त कर दिया है.
किताब में कई संवेदनशील मुद्दों पर है विवादित टिप्पणी विवादित किताब की लेखिका ने मांगी माफी:इंदौर में पुस्तक के प्रकाशक अमर खेत्रपाल ने अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा कि, आपत्तिजनक लेखन को लेकर किताब की लेखिका डॉक्टर फरहत खान पहले ही माफी मांग चुकीं हैं. उसके बाद पुस्तक के नए संस्करणों में से विवादित अंश को हटा लिया गया है, लॉ कॉलेज में किताब का पुराने संस्करण ही पढ़ाया जा रहा है. प्रकाशक के मुताबिक किताब की लेखिका ने 2021 के मार्च महीने में ही इसे लेकर मांफी मांग चुकी है. उन्होंने मांफी मांगते हुए लिखा था कि, "मेरे द्वारा आपके प्रकाशन से लिखी पुस्तक सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति जिसे 2011 में लिखा गया था, उसमें कुछ पेज अनजाने में आपत्तिजनक कथनों को समाहित किए हुए हैं. आपके द्वारा इसे 2015 में मेरी जानकारी में लाए बिना प्रकाशित किया गया है, फिर भी यदि इस पुस्तक में कुछ कथन यदि गलत एवं आपत्तिजनक हैं तो मैं आपके माध्यम से समस्त पाठकों से क्षमा प्रार्थी हूं, मेरा किसी की किसी भी भावना को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं था. " पुस्तक के प्रकाशक के मुताबिक माफीनामे के बाद विवादित अंशो को हटा दिया गया था. लॉ कॉलेज में यह 2015 का संस्करण कब से और क्यों पढ़ाया जा रहा है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.
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वीडी शर्मा बोले हो सख्त कार्रवाई: लॉ कॉलेज में विवादित किताब के मामले में भाजपा ने भी अब मैदान संभाल लिया है. शनिवार को इस मामले पर जहां पहले एमपी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सामने आया था, वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी इसको लेकर अपनी बात रखी है. शर्मा ने पुस्तक को लेकर जिम्मेदार प्रकाशक समेत लेखिका और अन्य लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग राज्य सरकार से की है. उन्होंने कहा कि, "ऐसे लोगों को जो कॉलेजों में विद्वेष फैलाने का काम कर रहे हैं, उन्हें जेल में होना चाहिए. ये पुस्तक कई वर्ष पूर्व प्रतिबंधित होने के बावजूद लाइब्रेरी में कैसे आई और क्यों इस पर कॉलेज के प्रोफेसर वकालत कर रहे हैं, लव जिहाद से लेकर के इस प्रकार की चीजों को प्रमोट करने वाले लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए." नरोत्तम मिश्रा ने कहा था, "मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिस देश में रहते हैं, जिस देश का खाते हैं, उसके खिलाफ बोलने और लिखने के लिए इतना जहर कहां से लाते हैं."
यह है पूरा मामला: इंदौर के लॉ कॉलेज में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को नमाज के लिए छुट्टी करने, महाविद्यालय के प्रोफसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां चलाए जाने, लव जिहाद को प्रमोट करने के तमाम आरोपों को लेकर गुरुवार को एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था. जिसके बाद 5 प्रोफेसरों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था. एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि, महाविद्यालय के प्रोफेसर कॉलेज में कश्मीर से 370 धारा हटाए जाने का विरोध करते थे. इसके अलावा, वे देश और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी किया करते थे. इतना ही नहीं, प्रोफेसर कॉलेज की छात्राओं को अकेले में मिलने के लिए कहते थे. इस पूरे मामले से प्रदेश सरकार बेहद नाराज है. मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.
पुस्तक में पंजाब में भी हिंदुओं को टारगेट किया गयाः किताब के अनुसार 'हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है. पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी संगठन मोर्चा खोल चुके हैं. अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने में लगे हैं. हिंदू शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है. किताब में लिखा है कि जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जानी थी, तो अयोध्या मंदिर इस कानून की सीमा से बाहर कैसे किया गया. RSS ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से ऊपर रखें ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे. हिंदुत्व का नारा बराबर ताजा बना रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके परिवार की संस्थाएं सब सांप्रदायिक हैं. यह हिंदूवाद की बात करती है और हिंदू धर्म को संविधान और देश के ऊपर मानती हैं. उनकी राष्ट्र की परिभाषा ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र और वर्तमान संविधान तक को वे विदेशी मानते हैं. जैसे विवादित अंश लिखे हुए हैं. (controversial book indore in law college library)