इंदौर। लंबे चले लॉकडाउन के बाद अब धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. पर इंदौर के सराफा बाजार के व्यापारियों की मुश्किलें अभी भी कम होती नजर नहीं आ रही हैं. लॉकडाउन की मार झेल रहे ज्वेलर्स बंगाली कारीगरों के नहीं होने से परेशान हैं. आलम ये है कि इंदौर के सराफा बाजार फिलहाल खुलने की हालत में नहीं है.
इस बाजार में सैकड़ों आभूषण की दुकानें हैं. इन दुकानों में गहने बनाने के लिए हजारों कारीगरों की जरूरत पड़ती है. ये कारीगर सालों से सराफा बाजार की दुकानों में गहने बनाने का काम कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से करीब 80 फीसदी बंगाली कारीगर अपने घर लौट चुके हैं. यहां का व्यापार पहले की तरह वापसी नहीं कर पा रहा है. कारीगरों की वापसी सराफा व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.
10 हजार से ज्यादा बंगाली कारीगर
इंदौर का सराफा बाजार सोने-चांदी के गहनों के लिए जाना जाता है. इंदौर के साथ ही आसपास के कई जिलों से लोग इस बाजार में खरीददारी करने पहुंचते हैं. सराफा बाजार में 10 हजार से ज्यादा बंगाली कारीगर कई दुकानों में गहने बनाने का काम करते थे. इनकी कारीगरी इतनी सुंदर थी कि अभी तक इनकी जगह कोई नहीं ले पाया है. व्यापारियों के सामने इन कारीगरों के जैसे कारीगर ढूंढ़ना भी एक बड़ी चुनौती है. जो काम ये कारीगर आसानी से कर देते थे, उसे करने में अन्य कारीगरों को जैसे लोहे के चने चबाना जैसा है. व्यापारियों को कारीगरों के बिना व्यापार चलाना मुश्किल होता है.