इंदौर।महिला एवं बाल विकास के बड़े अमले और पोषाहार वितरण के इंतजामों के बावजूद जिले में 1400 से ज्यादा बच्चे आज भी कुपोषण से जूझ रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन का दावा है कि कुपोषण रोकने के लिए प्रीवेंटिव अप्रोच के आधार पर काम किया जा रहा है.
कलेक्टर लोकेश जाटव कुपोषण की इस स्थिति पर सफाई देते हुए कहते हैं कि जिले में जो बच्चे कुपोषित हैं वह माइग्रेट होकर आए हैं. यह बच्चे उन श्रमिकों के हैं जो काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं, वहां सही से पोषण नहीं मिलने के कारण कुपोषित हो जाते हैं.
इधर महिला एवं बाल विकास विभाग की मानें तो जिले में कुपोषण का अनुपात 100 में से 7 बच्चों का है. मुख्य तौर पर जिस इलाके में कुपोषित बच्चे ज्याद पाए गए हैं वह महू तहसील से सटा वन्य क्षेत्र है. इसके अलावा जिले के मानपुर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या अन्य इलाकों से ज्यादा है.
महिला एवं बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ सीएल पासी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा ग्राम पंचायत और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कुपोषण के खिलाफ रणनीति के आधार पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में कुपोषित बच्चे ज्यादा पाए जा रहे हैं वहां क्लस्टर बनाकर पोषाहार देने का कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आंगनबाड़ियों में भी पंचायतों के सहयोग से पोषाहार दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर भी गर्भवती महिलाओं के पोषण पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है. कुपोषण रोकने के लिए विभिन्न मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं