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Artificial Intelligence For Blind: दिव्यांगों की जिंदगी में नई रोशनी, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से देख सकेंगे दृष्टिहीन - gift of smart vision glasses

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी विकलांग लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का एक उत्कृष्ट तरीका है. हैदराबाद काकीनाडा के आईआईटियन सीताराम माटूंगी ने एक ऐसा स्मार्ट विजन ग्लास तैयार किया जिसके उपयोग से दृष्टिहीन दिव्यांग देख सकेंगे. इसका उपयोग इंदौर की महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की बालिकाएं कर रही हैं.

artificial intelligence machine help blind people
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से देख सकेंगे दृष्टिहीन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 10:40 AM IST

Updated : Oct 18, 2023, 10:59 AM IST

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से देख पा रहीं दृष्टिहीन छात्राएं

इंदौर। दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए विकसित हो रही तकनीकी अब दृष्टिहीन बच्चों को भी आत्मनिर्भर बना सकेगी. दरअसल हैदराबाद काकीनाडा के आईआईटीयन सीताराम माटूंगी ने एक ऐसा स्मार्ट विजन ग्लास तैयार किया है जो दृष्टिहीन बच्चों को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि पढ़ाई लिखाई से लेकर लोगों को पहचानने के अलावा खतरा होने पर उनकी रक्षा भी करेगा. मध्य प्रदेश में पहली बार इंदौर की संस्था महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की दृष्टिहीन बालिकाएं इस अत्याधुनिक स्मार्ट विजन ग्लास का उपयोग अपनी आंखों की तरह ही करने जा रही हैं.

स्मार्ट विजन ग्लास की सौगात: दुनिया भर में अलग-अलग कारणों से बढ़ती दृष्टिहीनता और अंधत्व के मद्देनजर 44 फीसदी ऐसे लोग हैं जो देख नहीं सकते. इन तमाम लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की टेक्नोलॉजी के जरिए देखने और चीजों को पहचान सकने के लिए अब स्मार्ट विजन ग्लास किसी सौगात से कम नहीं है. हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित इस टेक्नोलॉजी का उपयोग इंदौर की महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की बालिकाएं करने जा रही हैं. संस्था की दृष्टिहीन बालिकाओं को सीताराम माटूंगी की कंपनी एसएचजी टेक्नोलॉजी ने CSR फंड से विजन ग्लास उपलब्ध कराए हैं. जिसके उपयोग के बाद दृष्टिहीन छात्राएं अब न केवल रास्ते में आसानी से चल पा रही हैं, बल्कि क्लास में किताबें पढ़ने से लेकर लोगों को पहचान और उनके आसपास क्या और कैसा है यह स्मार्ट विजन ग्लास और मोबाइल के संयोजन से देख और सुन पा रही हैं.

मात्र 31000 में बनकर तैयार: दरअसल अमेरिका और अन्य विकसित देशों में स्मार्ट विजन ग्लास की टेक्नोलॉजी पर आधारित यह सिस्टम प्रति इकाई करीब चार लाख रुपए का है. लेकिन भारतीय लोगों और दृष्टिहीनता का शिकार दिव्यांगों के लिए इस स्मार्ट ग्लास को सीताराम माटूंगी की स्टेट कंपनी एसएचजी टेक्नोलॉजी ने मात्र 31000 रुपए के खर्चे पर तैयार कर दिया है. उनके इस अविष्कार को हाल ही में इंफोसिस आरोहण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. स्मार्ट विजन ग्लास डिवाइस को किसी साधारण चश्मे की तरह पहनने के बाद अपने मोबाइल में डाउनलोड किए गए एक अप के जरिए ब्रेल लिपि में ऑपरेट किया जा सकता है.

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आत्मनिर्भर होंगी छात्राएं: चश्मे के बाएं तरफ लगने वाले इस डिवाइस में पांच तरह के बटन हैं, जिन्हें दबाने पर डिवाइस अलग-अलग तरीके से दिव्यांगों को देखने के लिए मदद करता है. जिसमें व्यक्ति के चारों ओर की स्थिति के अलावा पढ़ाई लिखाई का रीडिंग मोड, पैदल चलने के लिए वॉकिंग मोड और चेहरे पहचानने के लिए फेस आइडेंटिफिकेशन मोड मौजूद है. इसके अलावा स्टैंड बाय और सहायता की भी डिवाइस मौजूद है. जिन्हें डिवाइस में मौजूद टच बटन दबाने भर से उपयोग में लाया जा सकता है. यही वजह है कि यह दृष्टिहीन दिव्यांगों के लिए आर्टिफिशियल दृष्टि से कम नहीं है. जिसका उपयोग आने वाले समय में लगातार बढ़ने के कारण दिव्यांग छात्राएं आत्मनिर्भर हो सकेंगे.

Last Updated : Oct 18, 2023, 10:59 AM IST

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