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Indore High Court: हनी ट्रैप मामले में सुनवाई, जानें क्या है अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की पूरी कहानी - इंदौर हनी ट्रैप मामला

एक हनी ट्रैप मामले में गुरुवार को इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में आरोपी ने अपने बैंक अकाउंट को खोलने को लेकर एक याचिका लगाई थी. जानें क्या है पूरा मामला

Indore High Court
इंदौर हाई कोर्ट में हनी ट्रैप मामले में सुनवाई

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Published : Mar 16, 2023, 9:36 PM IST

इंदौर हाई कोर्ट में हनी ट्रैप मामले में सुनवाई

इंदौर।हनी ट्रैप मामले की आरोपी रही आरती दयाल ने इंदौर हाई कोर्ट में अपने विभिन्न बैंक अकाउंट को खोलने को लेकर एक याचिका लगाई है. मामले में गुरुवार को इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन इसी दौरान कोर्ट ने आरती दयाल के जिंदा होने का प्रश्न पूछ लिया. जिसको लेकर उनके वकील ने कोर्ट के समक्ष विभिन्न तरह की जानकारी पेश की है. अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के मामले में पलासिया पुलिस ने तकरीबन 2 साल पहले भोपाल की रहने वाली महिला आरती दयाल सहित अन्य लोगों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था.

ये है पूरा मामला: मामला दर्ज करने के बाद कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया था. इसके बाद एक-एक कर सभी महिला आरोपी कोर्ट से जमानत लेकर बाहर आ चुके हैं लेकिन उसके बाद भी उनके विभिन्न बैंक अकाउंट अभी भी कोर्ट के द्वारा बंद किए हुए हैं. इसके चलते हनी ट्रैप मामले की आरोपी रही आरती दयाल और स्वेता ने कोर्ट के समक्ष याचिका लगाकर अकाउंट खोलने को लेकर गुहार लगाई थी. जिस पर इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई इंदौर हाई कोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट में हुई. कोर्ट के समक्ष आरोपी आरती दयाल तथा श्वेता की ओर से उनके अधिवक्ता यावर खान उपस्थित हुए और उन्होंने कोर्ट के समक्ष आरोपियों की कार तथा बैंक खातों को डिफ्यूज करने के आदेश दिए जाने जैसे तर्क रखे.

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मामले में नया मोड: एक अन्य याचिका आरती दयाल के मकान मालिक की ओर से कोर्ट में पेश की गई. कोर्ट के समक्ष मकान मालिक ने यह याचिका लगाई की आरती दयाल जिस मकान में रहती है उस मकान पर पुलिस ने जांच पड़ताल करते समय एक ताला लगा दिया जिसकी चाबी उसे दिलाई जाए. जिस पर कोर्ट ने यह पूछा कि आरती दयाल जिंदा है कि नहीं इस बात की पुष्टि करा ली जाए. जिस पर आरती दयाल के एडवोकेट यावर खान ने उपस्थित होकर बताया कि उनकी पक्षकार जीवित है और उनका एक आवेदन पेंडिंग है जिस पर आदेश दिया जाए. एडवोकेट को सुनने के बाद फिर कोर्ट ने कुछ दस्तावेजों की पूर्ति हेतु आदेश देकर पूरे मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया है.

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