इंदौर। इंदौर हाई कोर्ट बेंच के जज सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट में अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को तलब किया गया था. पूरा मामला इंदौर के भूमाफिया चम्पू अजमेरा, चिराग शाह ,हैप्पी धवन की कालोनी कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स व सेटेलाइट से संबंधित है. उपरोक्त भूमाफियाओं ने इंदौर में कई आमजन से डायरी पर व अलाटमेंट लेटर पर लाखों रुपए लेकर उन्हें आज तक प्लॉट नहीं दिए हैं. जिसके बाद बड़ी संख्या में पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. लगभग 92 से अधिक पीड़ित हाईकोर्ट पहुंचे.
सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को दिया था निर्देशः सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदौर के जिला प्रशासन को कमेटी बनाकर उक्त मामले में न्याय दिलाने हेतु नियुक्त किया था. जिसके संबंध में कुछ पीड़ित हाईकोर्ट पहुंचे थे. हाईकोर्ट में सुबोध अभ्यंकर की बेंच में यह मामला चल रहा है. हाई कोर्ट जज सुबोध अभ्यंकर ने इंदौर एडीएम अभय बेडेकर को हाई कोर्ट में तलब किया था. आज हाईकोर्ट में एडीएम अभय बेडेकर द्वारा उपस्थित होकर बताया गया कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट से पूछा था कि इन भूमाफिया से पीड़ित पक्षों के लिए स्टेट गवर्नमेंट ने क्या कार्रवाई की. तब कालिंदी गोल्ड व फिनिक्स व सेटेलाइट के सारे पीड़ितों को हमारे द्वारा पेपर के माध्यम से व टीवी चैनल के माध्यम से सूचना देकर पीड़ितों को बुलाया गया. न्यायालय में एक रिपोर्ट सम्मिट की गई कि इन भू माफियाओं से इतने सारे लोग पीड़ित हैं. इसमें यह सब कार्रवाई होना है. तब न्यायालय ने आदेश दिया था कि आप कमेटी बनाकर इन पीड़ितों का पक्ष समझे जिनकी रजिस्ट्री हो गई है. उनको कब्जे दिलवाए व अन्य कार्यवाही करें.
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133 शिकायतों का हो चुका है निराकरणः इसके बाद कलेक्टर व एडीएम जेल में हैप्पी धवन, चंपू अजमेरा से जाकर मिले थे. जिसके बाद हमारे द्वारा कमेटी बनाकर पीड़ितों को प्लाट पर कब्जे दिलवाने की कार्रवाई की गई. लगभग 55 से 60 परसेंट पीड़ितों को न्याय दिलवाया गया. कुछ मामलों में भू माफियाओं द्वारा किसानों को पैसे नहीं दिए हैं. इस कारण किसानों ने जमीन का कब्जा नहीं लेने दिया. साथ ही भू माफियाओं द्वारा पीड़ितों को उनके पैसे वापस करने के लिए चेक देने का भी कहा गया परंतु कई पीड़ितों ने चेक लेने से मना कर दिया, कहा कि हमें प्लाट ही चाहिए. पूरे मामले में कालिंदी गोल्ड की 96 शिकायत थी. फिनिक्स की 81 शिकायत थीं, वह सेटेलाइट की 72 शिकायत थीं. कुल 255 शिकायतों में से 133 का निराकरण लगभग हमारे द्वारा करवाया गया है.
कंपनी को पीछे से कोई और ऑपरेट करता हैःअदालत को यह भी बताया कि कालिंदी गोल्ड कंपनी में डायरेक्टर महावीर जैन व निकुल कपासी हैं. इस कंपनी को पीछे से कोई और ऑपरेट करता है. साथ ही एडीएम द्वारा हाईकोर्ट में बताया गया कि गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में कॉलोनी की अनुमतियों के लिए जो दस्तावेज इन भूमाफियाओं द्वारा पेश किए गए थे. उसमें भी कई किसानों के फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज बनाए हैं. पीड़ित पक्ष के वकीलों द्वारा यह भी सजेशन दिया गया की आरोपीगणों के पास और भी कई जमीने हैं. अगर प्रशासन उन जमीनों पर प्लॉट दिलवाने संबंधी कार्रवाई करें तो सभी का मामला निपट सकता है. इस पूरे मामले को हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च को रख दिया है. इस संबंध में एडीएम अभय बेडेकर से चर्चा करना चाही तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.