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इंदौर में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए SGSITS no vehicle zone

प्रदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में पर्यावरण और वन्य जीव (animal free zone) संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की गई है.इन क्षेत्रों में केवल बच्चों के साथ-साथ स्टाफ को भी पैदल चलने की अनुमति है 700 मीटर के क्षेत्र को पूर्ण रूप से नो व्हीकल जोन घोषित (no vehicle zone) किया गया है.

no vehicle zone for wildlife animals
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए no vehicle zone

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Published : Jul 6, 2021, 5:27 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 5:21 PM IST

इंदौर(indore)।प्रदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की गई है. पर्यावरण और वन्यजीवों को सहेजने के लिए शैक्षणिक संस्थान में कई कदम उठाए गए हैं. इनमें मुख्य तौर पर परिसर के निर्धारित स्थान पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है. वहीं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उनके रहने और खाने की भी व्यवस्था संस्था ने है.

वन्यजीवों के संरक्षण के लिए no vehicle zone
परिसर में वन्यजीवों के लगातार मौत के बाद शुरू की पहलएसजीएसआईटीएस कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर आरके सक्सेना के अनुसार संस्था परिसर में बीते दिनों गिलहरियों की मौत हो रही थी जिसके बाद प्रबंधन ने वन्य जीव संरक्षण और प्रकृति के लिए एक पहल की शुरुआत की. जिसमें कॉलेज के परिसर के करीब 700 मीटर क्षेत्र में वाहनों के आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है. यह वह क्षेत्र है जहां बड़ी संख्या में सड़कों पर गिलहरी और अन्य पक्षी घूमते नजर आते हैं. ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए प्रबंधन ने यह फैसला लिया गया है जिसमें इन सड़कों पर केवल पैदल चलना और साइकिल से घूमना ही अनिवार्य किया गया है.

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संस्था परिसर में अलग-अलग प्रजातियों के कई वन्य जीव है मौजू

वर्तमान में संस्था के परिसर में अलग-अलग प्रजातियों के कई वन्यजीव मौजूद है. जिनमें गिलहरी, बतख, तोते और विशेष प्रजाति की मुर्गियां परिसर में मौजूद है. कई बार तेज वाहनों की आवाजाही के कारण इन वन्यजीवों की मौत के मामले सामने आ रहे थे. जिसके बाद प्रबंधन ने इन वन्यजीवों की आवाजाही वाले क्षेत्रों में वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि इन्हें नुकसान से बचाया जा सके. वहीं इन क्षेत्रों में केवल बच्चों के साथ-साथ स्टाफ को भी पैदल चलने की अनुमति है 700 मीटर के क्षेत्र को पूर्ण रूप से नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है.


हर रोज 5000 बच्चें और सैकड़ों पर वाहनों की है आवाजाही

डॉक्टर आरके सक्सेना के अनुसार संस्था के परिसर में प्रतिदिन 5000 के लगभग बच्चों की आवाजाही रहती है साथ ही इन बच्चों और स्टाफ द्वारा यहां बड़ी संख्या में वाहनों को लाया जाता है . ऐसे में संस्था में ध्वनि प्रदूषण की भी संभावनाएं रहती है .ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी संस्था द्वारा वाहनों को खड़ा करने के लिए स्थान निर्धारित किया गया है वहीं परिसर में बच्चों और स्टाफ को पेयजल और साइकिल के माध्यम से घूमने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को भी रोका जा सके.

Last Updated : Jul 7, 2021, 5:21 PM IST

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