इंदौर(indore)।प्रदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की गई है. पर्यावरण और वन्यजीवों को सहेजने के लिए शैक्षणिक संस्थान में कई कदम उठाए गए हैं. इनमें मुख्य तौर पर परिसर के निर्धारित स्थान पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है. वहीं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उनके रहने और खाने की भी व्यवस्था संस्था ने है.
इंदौर में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए SGSITS no vehicle zone - GSITS indore
प्रदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस में पर्यावरण और वन्य जीव (animal free zone) संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की गई है.इन क्षेत्रों में केवल बच्चों के साथ-साथ स्टाफ को भी पैदल चलने की अनुमति है 700 मीटर के क्षेत्र को पूर्ण रूप से नो व्हीकल जोन घोषित (no vehicle zone) किया गया है.
![इंदौर में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए SGSITS no vehicle zone no vehicle zone for wildlife animals](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-12373071-thumbnail-3x2-aka.jpg)
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संस्था परिसर में अलग-अलग प्रजातियों के कई वन्य जीव है मौजू
वर्तमान में संस्था के परिसर में अलग-अलग प्रजातियों के कई वन्यजीव मौजूद है. जिनमें गिलहरी, बतख, तोते और विशेष प्रजाति की मुर्गियां परिसर में मौजूद है. कई बार तेज वाहनों की आवाजाही के कारण इन वन्यजीवों की मौत के मामले सामने आ रहे थे. जिसके बाद प्रबंधन ने इन वन्यजीवों की आवाजाही वाले क्षेत्रों में वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि इन्हें नुकसान से बचाया जा सके. वहीं इन क्षेत्रों में केवल बच्चों के साथ-साथ स्टाफ को भी पैदल चलने की अनुमति है 700 मीटर के क्षेत्र को पूर्ण रूप से नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है.
हर रोज 5000 बच्चें और सैकड़ों पर वाहनों की है आवाजाही
डॉक्टर आरके सक्सेना के अनुसार संस्था के परिसर में प्रतिदिन 5000 के लगभग बच्चों की आवाजाही रहती है साथ ही इन बच्चों और स्टाफ द्वारा यहां बड़ी संख्या में वाहनों को लाया जाता है . ऐसे में संस्था में ध्वनि प्रदूषण की भी संभावनाएं रहती है .ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी संस्था द्वारा वाहनों को खड़ा करने के लिए स्थान निर्धारित किया गया है वहीं परिसर में बच्चों और स्टाफ को पेयजल और साइकिल के माध्यम से घूमने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को भी रोका जा सके.