इंदौर। कोरोना की दवाओं के साइड इफेक्ट के तौर पर दिखाई देने वाली भीषण बीमारियों के क्रम में अब कई मरीजों को अपनी आंखों की रोशनी भी गंवानी पड़ रही है. दरअसल, यह ब्लैक फंगस के संक्रमण के कारण हो रहा है, जो कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के कारण मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है. इस फंगस के कारण शहर में कई लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है. लिहाजा, लोगों की आंखों की रोशनी बचाने के लिए अब प्रदेश के डॉक्टर कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड देने पर भी प्रोटोकॉल बनाने जा रहे हैं. इसे लेकर आज एक बैठक भी होने जा रही है.
सावधान! इंदौर में ब्लैक फंगस की दस्तक, कई लोगों ने गंवाई आंखों की रोशनी - स्टेरॉयड और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन
कोरोना संक्रमण के नए मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे. इस बीच मरीजों में ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले भी नजर आने लगे हैं. बताया जा रहा है कि स्टेरॉयड और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के कारण मरीजों को फंगस अपनी चपेट में ले रहा है.
शहर में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीज
दरअसल, अधिक शुगर वाले मरीजों के अलावा ब्लैक फंगस ऐसे मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है जो कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड लेते हैं. इसके अलावा शुगर के मरीज जिनका शुगर लेवल पहले से गिरा हुआ है, उनके लिए भी यह संक्रमण भीषण खतरा साबित हो रहा है. हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों वाले ऐसे भी मरीज मिले हैं. जिन्हें स्टेरॉयड ज्यादा नहीं दिया गया, लेकिन फिर भी उन्हें ब्लैक फंगस संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया है. इंदौर में ऐसे करीब 11 मरीज भर्ती हैं जिन्हें यह संक्रमण बताया जा रहा है. इनमें से 4 मरीजों को बचाने के लिए आज ऑपरेशन कर उनकी आंखें निकालने की भी तैयारी की गई है, जिनमें दो एमवाई अस्पताल में और दो अन्य निजी चिकित्सालय में भर्ती हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्वेता वालिया के मुताबिक एमवाई अस्पताल में ही महीने भर में 35 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं.
खतरा तो नहीं बन रही दवा?
बता दें कि कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं. मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है. यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.
ऐसे पहचानें संक्रमण
यदि किसी मरीज को हाल ही में कोरोना वायरस हुआ है. उसे यदि आंख के नीचे दर्द व सूजन दिखती है, तो यह संक्रमण का संकेत है. यह संक्रमण तेजी से फैलता है इसलिए आंख के मूवमेंट में भी फर्क पड़ता है. कोरोना मरीज की इम्यूनिटी कम होती है. इसलिए यह संक्रमण मरीज को आसानी से अपनी सेकंड स्टेज में ले आता है. आंख को डैमेज करने के बाद यह मस्तिष्क को भी डैमेज कर देता है, जिसके कारण मरीज की जान खतरे में जाती है.
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स्टोरॉयड देने के लिए प्रोटोकॉल बनेगा
फिलहाल डॉक्टर मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए अनियंत्रित तौर पर स्टोरॉयड के इंजेक्शन दे रहे हैं. मरीज के शरीर में स्टोरॉयड की मात्रा बढ़ने से फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. अब जबकि यह बीमारी घातक तौर पर फैल रही है, तो मरीजों को स्टोरॉयड कितना दिया जाए, इसे लेकर भी अब प्रोटोकॉल बनने जा रहा है. ऐसे में आज इंदौर में इसे लेकर एक बैठक होने जा रही है, जिसमें शहर के तमाम नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रोटोकॉल के मापदंड तय करेंगे.