इंदौर. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT Indore) इंदौर ने चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर के सहयोग से इस रिसर्च को किया है. इसमें गट बैक्टीरिया, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) के मस्तिष्क विकार के साथ संबंध पर प्रकाश डाला गया है. इस नई खोज में पता चला कि ऐसा संभव है कि गट माइक्रोबियल स्राव सबसे लंबी नसों में से एक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकता है.
इस तरह दिमाग पर अटैक करता है वायरस
रिसर्च ग्रुप ने अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease) और सिग्नल ट्रांसड्यूसर और एच. पाइलोरी सेक्रेटोम के कारण होने वाले ट्रांसक्रिप्शन 3 (STAT3)- दिमागी संक्रमण जांच की. जांच में आगे सामने आया कि लंबी नसें जो आंतों को मस्तिष्क से जोड़ने का काम करती हैं, उनके जरिए बैक्टीरिया न्यूरो-संबंधी बीमारियों को बढ़ा देता है. आगे जाकर ये गट-ब्रेन एक्सिस को बदलता है. इससे मस्तिष्क के भावनात्मक और संज्ञानात्मक केंद्रों पर भी असर होता है और अल्ज़ाइमर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है.
आंत और दिमाग का कनेक्शन
अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया कि एच. पाइलोरी संक्रमण आंत में सूजन बढ़ाता है और STAT3 और इसके डाउनस्ट्रीम अणुओं की गतिविधि को बदल देता है. अध्ययन में कहा गया कि यह सूजन और अल्जाइमर रोग से जुड़े हॉलमार्क के लिए एक ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेटर के रूप में कार्य कर सकता है. इस प्रकार अल्जाइमर रोग से संबंधित न्यूरोडीजेनेरेशन से जुड़े आणविक हस्ताक्षर को सक्रिय कर सकता है. आसान भाषा में समझें तो जाे बैक्टीरिया आंत में सूजन बढ़ाता है, वही दिमागी रोग अल्जाइमर का कारण बन सकता है. इस रिसर्च को आईआईटी इंदौर में बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा और इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉ. अजय कुमार जैन ने लीड किया.
अल्जाइमर की बीमारी क्या है?
अल्जाइमर (Alzheimer's disease) की शुरुआत हाल की घटनाओं को भूल जाने से होती है. ताजा घटनाओं को भूल जाना इसका प्रारंभिक संकेत है, इसके बाद बढ़ता भ्रम, अन्य मानसिक कार्यों में हानि, और भाषा का उपयोग करने, समझने और दैनिक कार्यों को करने में परेशानी आने लगती है. ये लक्षण इस कदर बढ़ जाते हैं कि लोग काम नहीं कर पाते हैं, जिससे वे दूसरों पर पूरी तरह से आश्रित हो जाते हैं.