इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर ने आईआईटी रुड़की और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान तिरुवनंतपुरम के साथ मिलकर एक शोध किया है. जो पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण खोज है. इसके माध्यम से खतरनाक रसायनों और औद्योगिक अपशिष्टों को अवशोषित करने में सक्षम एक नई वन-पॉट सिंथेसिस विधि के जरिए एक आयनिक पोरस कार्बनिक पॉलिमर आईपीओपी-बीपीवाई विकसित करके पर्यावरणीय उपचार में एक अभूतपूर्व विकास किया गया है.
जहरीले अपशिष्टों का पर्यावरण में जाने से होता है नुकसान:आईआईटी इंदौर द्वारा की गई इस शोध ने रेडियोधर्मी अपशिष्ट के उत्पादन से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए समाधान विकसित करने की नई राह बनाई है. वाष्पशील रेडियो न्यूक्लियोटाइड सबसे खतरनाक जहरीले अपशिष्टों में से एक है. जो कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और चिकित्सा अनुप्रयोगों में प्रचलित है. इन अपशिष्ट को पर्यावरण में डंप करने से गंभीर रेडियोधर्मी प्रदूषण हो सकता है. इसलिए ऐसे न्यूक्लियोटाइड का तेज और कुशल कैप्चर अत्यावश्यक हो जाता है.