इंदौर। दीपावली (Diwali 2021) पर्व खुशियों का पर्व होता है. इस दिन खुशियों में मिठाई का महत्व भी होता है. दिवाली पर लोग तरह-तरह की मिठाइयां लाते हैं, इन सब के बीच वर्क वाली मिठाई (Silver Work Sweets) भी चर्चाओं में है. चांदी और स्वर्ण वर्क की मिठाई खाने से शरीर को बहुत फायदा पहुंचता है. यूं तो सोने के वर्क की भी मिठाई बनती है, लेकिन चांदी का वर्क अधिक प्रचलन में है. दीपावाली पर चांदी के वर्क वाली मिठाई की बहुत डिमांड होती है. ऐसे में ईटीवी भारत की इस खास पेशकश में हम आपको बताएंगे चांदी वर्क क्या होता है और यह कैसे बनता है. इसके साथ ही चांदी का वर्क असली है या नकली इसकी पहचान को भी समझेंगे.
इस दीपावाली चांदी के वर्क वाली मिठाई सोना और चांदी दोनों ही तरह के बनते हैं वर्क
मिठाई विक्रेता ने बताया कि चांदी और स्वर्ण दोनों ही तरह के वर्क बनाये जाते हैं. पहले के जमाने में मिठाई व्यापारी वर्क को हाथ से ही तैयार करते थे, लेकिन अब आधुनिक जर्मनी मशीनों की मदद से वर्क बनाया जाता है. आयुर्वेदिक दवाइयों में भी डॉक्टर चांदी के वर्क का उपयोग बताते हैं, यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है.
ऐसे बनाया जाता है चांदी का वर्क (How to make silver work)
चांदी के वर्क बनाने के लिए चमड़े का उपयोग किया जाता है. वर्क बनाने के लिए पहले चांदी को एक विशेष प्रकार के चमड़े के थैले में रखकर उसे हथौड़े से लम्बे समय तक कूट-कूटकर पतला किया जाता है. ऐसा करने से वह पतली झिल्ली जैसी परत बन जाती है. पशु के चमड़े पर से यह आसानी से उतर जाता है. इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद वर्क को निकालकर कागज में रखा जाता है. इस तरह के वर्क का प्रयोग पूजा आदी में नहीं किया जाता है.
पूजा के लिए अब ऐसे तैयार होता है वर्क (New Method of silver work)
वर्तमान में वर्क बनाने के लिए पशु के किसी भी अंग के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. इसे अब जर्मन बटर पेपर नामक शीट पर या विशेष प्रकार से बनाये गए काले कागज की मदद से बनाया जाता है. इसके अलावा इसे बनाने में फूड ग्रेड कैल्शियम पाउडर का भी उपयोग किया जाता है. चांदी के वर्क अब मशीन की मदद से भी बनाये जाते हैं. इस प्रकार के बनाये गए वर्क पूजा में काम लिए जा सकते हैं. इन्हें भगवान की मूर्ति पर भी लगाया जा सकता है.
चांदी के वर्क के फायदे और नुकसान (Pons and cons of silver work)
मिठाई के एक टुकड़े के साथ चांदी के वर्क की बहुत कम मात्रा ही पेट में जाती है. शुद्ध चांदी से बने वर्क सीमित मात्रा में शरीर के लिए नुकसान देह नहीं होते हैं, लेकिन अधिक मात्रा या नियमित उपयोग नुकसान देह हो सकता है. अधिक मात्रा में चांदी शरीर में जाने पर अर्जिरिया नामक बीमारी हो सकती है. इसमें त्वचा नीली जैसी हो जाती है. इसके अलावा इसे बनाते समय साफ-सफाई और शुद्धता का ध्यान नहीं रखा गया तो भी बीमारी हो सकती है.
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कैसे करें असली और नकली वर्क की पहचान (How to recognize fake and real silver work)
- चांदी का वर्क लगी कोई भी मिठाई लेकर इसे अपनी अंगुली पोंछने का प्रयास करें. अगर पोंछते समय यह आपके हाथ में चिपकता है, तो इसका मतलब है इसमें एल्युमिनियम है. अगर यह आपके हाथ में नहीं चिपकता और गायब हो जाता है, तो यह पूरी तरह सुरक्षित है.
- नकली वर्क थोड़ा मोटा होता है, जबकि असली वर्क महीन होता है. अगर मिठाई पर लगे चांदी के वर्क को उतारा जाए और इसे गर्म किया जाए, तो यह चांदी के गोले की तरह तब्दील हो जाएगा. वर्क मिलावटी है, तो जलाने पर यह काला पड़ जाता है या फिर राख में बदल जाता है.
- चांदी के वर्क को परखनली में लेकर अगर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की एक बूंद डाली जाए, तो यह सफेद वेग के साथ टरबाइड हो जाएगा. अगर यह मिलावटी है, तो यह टरबाइड नहीं होगा.
- चांदी का वर्क अगर असली है, तो यह लंबे समय तक भी टिका रहता है, और इसकी चमक कम नहीं होती. अगर यह एल्युमिनियम है, तो पुराना होने पर इसका रंग काला पड़ जाता है.