इंदौर।प्राचीन दौर में सरस्वती और कान्हा नदी के तट पर स्थापित इंद्रेश्वर महादेव सदियों बाद भी इंदौर की आस्था का केंद्र है, पंढरीनाथ क्षेत्र में स्थापित यह मंदिर प्राचीन होलकर कालीन निर्माण शैली की दुर्लभ धरोहर है. यहां मंदिर के शिखर से करीब 15 फीट नीचे गर्भ गृह में भगवान इंद्रेश्वर का शिवलिंग स्थापित है, यहां पहुंचने के लिए मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद सीढ़ियां मौजूद हैं, इस मंदिर की खासियत यह भी है कि जब अंचल में बारिश नहीं होती, तब मंदिर के गर्भ ग्रह में शुद्ध जल से इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक करते हुए उनकी शिवलिंग को पूरा पानी में डुबा दिया जाता है.
इंदौर शहर के नाम के पीछे की कहानी
इसके बाद अगले दिन यह पानी बिना किसी निकासी के गायब हो जाता है, यह हर किसी के लिए आश्चर्य का विषय होता है. लेकिन इस अनुष्ठान के बाद ही इंदौर समेत पूरे मालवा अंचल में बारिश का दौर भी शुरू हो जाता है, यही वजह है कि पीढ़ियों से लोग इंदौर में मानसून और बारिश के लिए भगवान इंद्रेश्वर महादेव के मंदिर में अनुष्ठान अभिषेक और पूजन करने पहुंचते हैं, श्रावण सोमवार के अवसर पर मंदिर में नियमित श्रद्धालुओं के अलावा शिव के कई भक्त भी पहुंचते हैं, जो भगवान का अभिषेक गर्भ गृह में पहुंचकर करते हैं.
प्राचीन शिलालेख और प्राचीन मूर्तियां