इंदौर। कोरोना के दौरान हॉस्पिटल्स और प्रशासन की विभिन्न तरह की व्यवस्थाओं को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट के इंदौर खंडपीठ में दायर की गई. इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की विभिन्न दलीलों पर काफी नाराजगी व्यक्त करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है. कोरोना काल में मौत के आंकड़े छिपाने को लेकर दायर की गई याचिका कोर्ट में याचिकाकर्ता अजय दुबे को फटकार लगाई है. याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि, 'याचिकाकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की है'.
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का कहना है कि, याचिकाकर्ता अजय दुबे ने केंद्र सरकार के एक अधिकारी का पत्र पेश किया, जिसमें इंदौर की हालत चिंताजनक होना बताया है. यह पत्र पूरी तरह से फर्जी निकला, इस फर्जी पत्र के आधार पर जनहित याचिका दायर कर लोकप्रिय होने की कोशिश की. तकरीबन तीन महीने पहले याचिकाकर्ता ने ये याचिका हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर की थी. शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक दयाल ने पैरवी की और शासन ने कोर्ट के समक्ष अपनी दलील रखी. केंद्र सरकार के जिस अधिकारी का जिक्र पत्र के रूप में किया गया है, वो कभी इंदौर आए ही नहीं, उल्टा केंद्र तो इंदौर की तैयारियों से बहुत संतुष्ट था. इंदौर का मॉडल अन्य शहरों में भी लागू करने की सिफारिश की गई थी. हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट का कहाना है कि, 'याचिकाकर्ता आरोप लगाने के बजाए, अच्छा होता कि कोरोना वॉरियर्स की मदद करते'. इस तरह फर्जी पत्र, तथ्य और दस्तावेज लगाकर याचिका दायर करना बहुत गंभीर मामला है. कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी भी जाहिर की है.