इंदौर| जिस जर्जर मकान की वजह से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय विपक्ष के निशाने पर हैं. इसी मकान को बचाने के लिए उन्होंने निगम अधिकारियों को बैट से पीटा था, जिसके बाद उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. उसी मकान को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.
जर्जर मकान के लिए बीजेपी विधायक ने की थी 'बल्लेबाजी मंगलवार को नगर निगम जर्जर मकान को तोड़ने की कार्रवाई करने वाला था, लेकिन उसके पहले की मकान में रह रहा परिवार हाईकोर्ट पहुंच गया और याचिका दायर कर दी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने परिवार को 2 दिन में शेल्टर उपलब्ध कराने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नियमानुसार लाभ दिलाने का आदेश निगम को दिया है.
जर्जर मकान को गिराने को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने फैसला दिया है कि नगर निगम पहले वहां रह रहे परिवारों के लिए 2 दिनों में स्थाई व्यवस्था करे और 3 महीनों बाद पीड़ित परिवारों के लिए सरकारी योजना के तहत रहने की स्थाई व्यवस्था करे.
26 जून को गंजी कंपाउंड स्थित जर्जर मकान गिराने पहुंची नगर निगम की टीम के अधिकारी धीरेंद्र बायस को क्षेत्रीय विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से पीट दिया था, इसके बाद भाजपा विधायक को जेल भी जाना पड़ा था. आकाश के जेल से छूटने के बाद जर्जर मकान को लेकर किरायेदार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
हाई कोर्ट के इस फैसले को आकाश समर्थक अपनी जीत भी मान रहे हैं. प्रदेश और देश में अचानक आए राजनीतिक भूचाल को लेकर भी न्यायालय ने बहस के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.