इंदौर। विजय नगर पुलिस ने नकली इंजेक्शन के मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इनके पास से पांच रेमेडिसविर इंजेक्शन, चार पैकेट फैबिफ्लू टैबलेट और पांच अन्य प्रकार के इंजेक्शन जब्त किए हैं. आरोपियों ने बड़े अस्पताल के कोविड सेंटर में कार्यरत एक महिला डॉक्टर का नाम भी कबूल किया है. मामले का लिंक गुजरात की एक फैक्ट्री से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं.
6 आरोपी गिरफ्तार
टीआई तहजीब काजी के मुताबिक, पुलिस तीन दिन से आरोपियों की तलाश कर रही थी. इसी कड़ी में पुलिस ने शुक्रवार दोपहर खजराना क्षेत्र के अजहर को पकड़ा. पूछताछ में आरोपी अजहर ने अपने बाकी साथियों के भी नाम बता दिए. इनमें निर्मल, धीरज, प्रवीण सिद्धार्थ,असीम भाले और दिनेश शामिल हैं. आरोपियों ने बताया कि सभी 25 हजार से 35 हजार में एक इंजेक्शन का सौदा करते थे. वह कोरोना से मृत मरीजों के बचे इंजेक्शन की भी कालाबाजारी करते थे, जबकि एक गैंग मरीजों की फर्जी भर्ती दिखाकर मेडिकल दुकानों से इंजेक्शन खरीद लेता था. आरोपी धीरज की बहन डॉ. नमृता एक बड़े अस्पताल के कोविड वार्ड में पदस्थ है. फिलहाल, अभी पुलिस उसकी भूमिका भी जांच रही है.
इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में छह गिरफ्तार मामले के लिंक गुजरात से जुड़े
पुलिस ने आगे बताया कि मामले का लिंक गुजरात की एक फैक्ट्री से भी जुड़े हुए हैं. गुजरात पुलिस और मध्यप्रदेश पुलिस अलग-अलग जगहों पर छापेमारी भी कर रही है. कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार भी कर रही है. इस मामले में अभी और भी आरोपी गिरफ्तार हो सकते हैं.
एक दूसरे से अलग- अलग तरह से जुड़े थे आरोपी
विजय नगर पुलिस ने अभी तक जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वह एक दूसरे से अलग- अलग तरह से जुड़े हुए थे. आरोपी सुनील मिश्रा ने पुलिस को बताया कि वह कौशल और पुनीत से नकली इंजेक्शन तैयार कर 6000 में दलाल को बेचता था. इंदौर में आरोपी असीम भाले से आरोपी प्रवीण उर्फ सिद्धार्थ को 8000, तो वहीं प्रवीण धीरज को 16000, धीरज 24000 में दिनेश चौधरी को और दिनेश सोशल मीडिया से लोगों को 35 से 40000 में इंजेक्शन बेच दिया करता था. फिलहाल इस पूरे रैकेट में एक महिला का नाम भी सामने आ रहा था, जो अन्य युवकों के साथ काफी सक्रिय थी उसे भी पुलिस जल्द गिरफ्तार कर सकती है.
पुलिस ने पहले भी किया है 11 आरोपियों को गिरफ्तार
पिछले दिनों विजय नगर पुलिस ने रेमेडिसविर इंजेक्शन के मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. उस मामले में जब पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की गई, तो उन्होंने रीवा के सुनील मिश्रा का नाम बताया था, जो गुजरात की एक फैक्ट्री से नकली इंजेक्शन को लेकर आता था, और इंदौर की गैंग को थमा देता था. प्रारंभिक पूछताछ में यह बात सामने आई कि इंदौर में तकरीबन 12 सौ से अधिक नकली इंजेक्शन खपा चुके हैं. इसी कड़ी में लगातार विजयनगर पुलिस जांच पड़ताल में जुटी हुई है. पकड़े गए आरोपी से विजयनगर पुलिस लगातार पूछताछ करने में जुटी हुई है. इस दौरान यह भी जानकारी मिली, कि आरोपी कौशल बोर भी इंदौर में नकली इंजेक्शन की डिलीवरी देने के लिए आ चुका है. आने वाले दिनों में विजयनगर पुलिस आरोपी सुनील मिश्रा, कौशल बोरा और पुनीत शाह नामक आरोपियों को प्रोटेक्शन वारंट पर लेकर इंदौर पहुंचेगी.
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ऐसे करते थे इंजेक्शन की कालाबाजारी
यह बात भी सामने आई है कि आरोपी खाली इंजेक्शन की बोतले कबाड़ से खरीद लेते थे, फिर इन्हें तैयार करने के लिए गुजरात में अपने फॉर्म हाउस ले जाते थे. वहां पर इन बोतलों में नमक का पानी और ग्लूकोस को भरकर इनपर मुंबई में इंजेक्शन का नकली रैपर तैयार करवाकर लगाा दिया जाता था. फिर इसे बाजार में बेच दिया जाता था. प्रारंभिक पूछताछ में यह बात भी सामने आई थी एक इंजेक्शन को यह 80 रुपए में तैयार करते थे और इसे रेमड़ेसिविर इंजेक्शन के नाम पर 30 से 40 हजार में बेचते थे. इन आरोपियों ने इंदौर में 1000 इंजेक्शन खपा दिए, तो वहीं 100 से अधिक इंजेक्शन दवा बाजार में बेच दिए. पुलिस पूरे मामले में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर रही है.