इंदौर। मध्य प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सबसे अहम मुद्दा बन गई है. एक तरफ कोरोना संक्रमितों का बढ़ता आंकड़ा डरा रहा है, तो दूसरी तरफ ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी से शासन-प्रशासन का दम फूल रहा है. पूरे प्रदेश में जहां ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है तो इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में हालात बदतर होते जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन के सीमित साधन हैं. मध्य प्रदेश को ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. ऐसे में दूसके राज्यों से ऑक्सीजन सप्लाई में हो रही देरी से परेशानी बढ़ रही है. इसलिए अब ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है.
ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर
मध्य प्रदेश में गुजरात के जामनगर, छत्तीसगढ़ के भिलाई और महाराष्ट्र के नागपुर से टैंकरों के जरिए लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई होती है. इन शहरों से इंदौर और भोपाल जैसे शहरों तक दूरी तय करने में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों को कई दिन लग रहे है. लिक्विड ऑक्सीजन के अत्यंत ज्वलनशील होने के कारण टैकरों को धीमी रफ्तार में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. इस दौरान रास्तों में पड़ने वाले टोल नाकों और बैरिकेडिंग की वजह से टैंकरों के आने का समय काफी बढ़ रहा है. इसलिए सरकार ने ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों को एंबुलेंस की श्रेणी में शामिल किया है. और इनके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा. यानी टोल नाकों पर इन वाहनों को सीधे इमरजेंसी गेट से निकलने दिया जाएगा, इसके अलावा बैरिकेडिंग पर इन्हें नहीं रोका जाएगा.
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