इंदौर। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार से संसद का काम-काज पुराने भवन से नये भवन में स्थानांतरित होने का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि सदन की नयी इमारत में देश की उत्कृष्ट लोकतांत्रिक परंपराओं को कायम रखा जाएगा. संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्रों के अक्सर हंगामे की भेंट चढ़ने से आहत पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि "लोकतांत्रिक पद्धति में 'डिस्कस, डिबेट एंड डिसाइड' (किसी विषय पर चर्चा और बहस के बाद निर्णय पर पहुंचना) के सिद्धांत पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है."
नये संसद भवन में सदन की कार्यवाही शांति से चले:सुमित्रा महाजन ने इंदौर में कहा कि देश को लंबे समय से नये संसद भवन की जरूरत थी, क्योंकि पुराने भवन में सीमित जगह के कारण सांसदों को बहुत कठिनाई होती थी और उन्हें आधुनिक तकनीकी सुविधाएं प्रदान किए जाने में भी दिक्कत पेश आती थी. उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करती हूं कि नये संसद भवन में हमारे लोकतंत्र की उत्कृष्ट परंपराओं को कायम रखा जाएगा और आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये इनमें नये आयाम जोड़े जाएंगे. मैं यह भी चाहती हूं कि नये संसद भवन में सदन की कार्यवाही शांति से चले और विस्तृत चर्चा हो."
नया संसद भवन पुराने भवन के मुकाबले बड़ा और भव्य:महाजन ने जोर देकर कहा कि नया संसद भवन पुराने भवन के मुकाबले बड़ा और भव्य है. उन्होंने कहा, "नये संसद भवन में सभापति के आसन के सामने वाला स्थान अपेक्षाकृत गहराई में है और किसी सदस्य को इस जगह पहुंचना हो, तो उसे अपनी सीट से ज्यादा नीचे उतरना होगा. नये भवन में सभापति का आसन पुराने भवन के मुकाबले ज्यादा ऊंचाई पर भी है." 80 वर्षीय महाजन ने कहा, "पुराने संसद भवन में सदस्यों का हाथ सभापति के आसन तक आसानी से पहुंच जाता था. कई बार वे हंगामे के दौरान इस आसन पर रखे दस्तावेज उठा लिया करते थे और इसे ठोंकते भी थे. मेरे ख्याल से नये संसद भवन में यह सब संभव नहीं हो सकेगा, क्योंकि इसमें सभापति का आसन ऊंचाई पर है." महाजन ने इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 तक लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीता था, जो एक रिकॉर्ड है. वर्ष 2019 से चुनावी राजनीति से दूर हैं.