इंदौर। मोतियाबिंद के मरीजों की आंखों की रोशनी छीनने वाले अस्पताल का लाइसेंस स्थाई रुप से निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है. वहीं इस मामले में आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है.
इंदौर आई हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द करने का आदेश बता दें कि इंदौर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के इलाज के बाद संक्रमण से 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसके बाद अब तक आधे मरीजों की रोशनी आंशिक तौर पर ही लौट सकी है. इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग ने अपने हाथों ली थी, जिसकी जांच रिपोर्ट में ये पता चला है कि संक्रमण की जानकारी अस्पताल को 5 अगस्त को ही हो चुकी थी, इसके बावजूद कैंप जारी रखा गया था. जांच में ये भी पता चला है कि ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए फ्लूट और औजार के जरिए भी कई मरीजों को संक्रमण हुआ है. अस्पताल की लापरवाही को देखते हुए संभाग आयुक्त कार्यालय ने अस्पताल का लाइसेंस स्थाई रूप से निरस्त करने के आदेश दिए हैं और संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है. संभाग आयुक्त कार्यालय ने कहा कि अस्पताल को जिन शर्तों के आधार पर लीज पर जमीन मुहैया कराई गई थी अस्पताल प्रबंधन उन शर्तों का पालन भी नहीं कर रहा था. ऐसे में अस्पताल की लीज निरस्त कर राजस्व विभाग को जमीन लीग्रैंड वसूलने के निर्देश दिए गए हैं.