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लॉकडाउन में मूर्तिकारों का बुरा हाल, अब तक नहीं मिला ऑर्डर

हर साल मई से अपनी कला में रमने वाले मूर्तिकार इस साल खाली बैठे हैं. बता दें मई में मूर्तिकारों को गणेश मूर्ति बनाने के ऑर्डर मिल जाते थे. लेकिन इस साल लॉकडाउन होने के कारण वे बस इस आस में बैठे हैं कि जल्द ही इस लॉकडाउन के बीच उन्हें काम मिले और उनकी गाड़ी पटरी पर आ जाए.

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Published : Jun 8, 2020, 6:23 AM IST

sculptors
विघ्न में आए मूर्तिकार

इंदौर।देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले गणेश चतुर्थी के दौरान होने वाली गणेश स्थापना के लिए तैयारियां मई-जून में ही शुरू हो जाती हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस साल शहर के मूर्तिकार भी बेरोजगार बैठे हैं. लॉकडाउन का असर ऐसा हुआ है कि गणपति बप्पा की मूर्ति बनाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

मूर्तिकारों पर संकट

हर साल मई में ही मूर्तिकारों को कई ऑर्डर मिल जाते थे, जिससे गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर दिया जाता था. लेकिन इस साल पूरा मई का महीना बीत गया और अब तक न तो मूर्तिकारों को ऑर्डर मिले हैं और न ही उनके पास कच्चा माल पहुंचा है.

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कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन का अच्छा-खासा असर त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के लिए इंदौर में मई माह से ही मूर्तियों की बनावट के लिए बड़े-बड़े कारखाने शुरू हो जाते हैं, जिसमें काम करने के लिए बंगाल और कोलकाता से कारीगर लाए जाते हैं. लेकिन इस बार शहर में न तो बड़े आयोजन होने की कोई सुगबुगाहट होती दिख रही है और न ही किसी प्रकार की तैयारी दिखाई दे रही हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है.

कानपुर से बांस और बैतूल की घास, तो कोलकाता से लाई जाती थी मिट्टी

मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार मूर्ति बनाने की सामग्री अलग-अलग जगहों से बुलाते थे. मूर्ति बनाने के लिए कोलकाता से कारीगरों को बुलाया जाता था, तो कानपुर से बांस बुलवाया जाता था. इसके साथ ही बैतूल से घास बुलाई जाती थी लेकिन गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए उपयोग में आने वाली मिट्टी और शृंगार की सामग्री को सिर्फ कोलकाता से ही बुलाया जाता था. ये सभी सामग्री मई तक इंदौर पहुंच जाती थी, लेकिन अब जून माह शुरू होने के बावजूद मूर्ति बनाने का काम शुरू नहीं हो सका है.

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मजदूरों की वापसी बनी सबसे बड़ी चुनौती
इंदौर में गणेश उत्सव से पहले ही मूर्ति बनाने का काम जोर-शोर से शुरू कर दिया जाता था. मूर्तिकारों को मई महीने के पहले ही ऑर्डर मिलना शुरू हो जाते थे लेकिन इस साल मई बीत जाने के बावजूद मूर्तिकारों को अब तक कोई ऑर्डर नहीं मिला है. वहीं कुछ मूर्तिकारों को ऑर्डर तो मिल गए हैं लेकिन अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इन्हें बनाने वाले मजदूरों की वापसी की. लॉकडाउन के चलते इंदौर शहर में रहने वाले बंगाली कारीगर अपने घरों को लौट चुके हैं. ऐसे में अब मूर्ति बनाने वालों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन मजदूरों की वापसी है.

गणेश चतुर्थी और तीज जैसे त्योहारों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

शहर के मूर्तिकारों का मानना है कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर इस साल के तीज और गणेश चतुर्थी पर पड़ेगा. हर साल शहर में बड़ी संख्या में गणेश पंडाल लगाए जाते थे, जिसमें हजारों मूर्तियां पहुंचाई जाती थीं. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी लोगों पर आर्थिक रूप से असर हुआ है, इस कारण शहर में गणेश पंडालों की संख्या में भी कमी आएगी.

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इंदौर शहर में बनाई जाने वाली मूर्तियां मध्य प्रदेश के कई शहरों के साथ ही राजस्थान में भी भेजी जाती थी. लेकिन इस बार तो मूर्तिकार को वहां से भी ऑर्डर नहीं मिले हैं.

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