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जिला सहकारी बैंकों के लिए कर्ज माफी बनी मुसीबत, माली हालत हुई खराब - indore news

मध्यप्रदेश में जिला सहकारी बैंकों की माली हालत खराब हो गई है. सरकार ने किसानों की कर्ज माफी तो कर दी, लेकिन जिला सहकारी बैंकों को बकाया राशि अभी तक नहीं मिली है. सहकारी बैंकों की माली हालत लगातार खराब होती जा रही है.

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Published : Jul 20, 2020, 4:27 PM IST

इंदौर। सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किसानों की कर्ज माफी को मुद्दा बनाया था. सरकार बनने के बाद किसानों का कर्ज माफ भी किया. इसके लिए 5 हजार करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया, लेकिन सरकार की इस योजना के कारण जिला सहकारी बैंकों की हालत खराब हो गई. कांग्रेस सरकार से पहले सहकारी बैंकों का शिवराज सरकार की 5 योजनाओं का करोड़ों रुपया बकाया था. सरकार की योजनाओं का असर इन सहकारी बैंकों पर पड़ रहा है और इनकी हालत लगातार गिरती जा रही है.

जिला सहकारी बैंकों पर पड़ी दोहरी मार

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और अपने वचन पत्र के अनुसार सरकार बनने पर सबसे पहला फैसला किसानों की कर्जमाफी का कमलनाथ सरकार ने लिया था. हालांकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले कांग्रेस सरकार का दावा था कि, वे 20 लाख किसानों का कर्जा माफ कर चुके हैं. कर्ज माफी के लिए 5 हजार करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था. जिसमें 35 लाख किसानों को आंशिक रूप से कर्ज माफी की राहत देने की बात कही गई थी.

शिवराज सरकार से लेना था 1213 करोड़

  • जिला सहकारी बैंकों का शिवराज सरकार के समय भी करोड़ों रुपए सरकार पर बकाया थे, शिवराज सरकार के द्वारा चलाई जा रही पांच योजनाओं से ही सहकारी बैंकों को 1 हजार 213 करोड़ रुपए लेना था.
  • समाधान ऋण योजना - 399 करोड़, मध्यकालीन ऋण परिवर्तन योजना (ब्याज अनुदान) 84 करोड़, मध्यकालीन ऋण परिवर्तन योजना (समाधान लोन) 400 करोड़, जीरो प्रतिशत ब्याज योजना 629 करोड़.
  • मुख्यमंत्री सहायता योजना में 100 करोड़, सरकार ने सभी किसानों को कृषि ऋण देने के निर्देश सहकारी बैंकों और सहकारी समितियों को दे दिए थे, लेकिन बैंकों के पास खातों में पैसा पहुंचा ही नहीं और इससे सहकारी बैंकों की हालत और खराब होती गई, लगातार बदलती सरकारों के कारण भी सहकारी बैंकों के कामकाज पर इसका असर हुआ.
  • प्रदेश में एक बार फिर उपचुनाव होना है और इसके बाद ही स्थाई सरकार बनने का रास्ता साफ हो पाएगा, लेकिन पुरानी सरकारों की अपनी- अपनी योजनाओं का करोड़ों रुपया इन सहकारी बैंकों पर बकाया होने के कारण इनकी माली हालत खराब होती चला जा रही है.

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