इंदौर।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि, भारत ने वर्ष 1990 के बाद बहुत तीव्र गति से प्रगति की है. वैश्विक मापदण्डों के अनुसार उत्पादन हो रहा है. अमृत काल के अगले 25 वर्ष में फोर-आई- इन्फ्रा-स्ट्रक्चर, इनवेस्टमेंट, इनोवेशन्स और इनक्लूजिव पर केन्द्रित प्रगति में प्रवासी भारतीय सक्रिय योगदान दें. उन्होंने कहा कि, इससे भारतीय ब्रांड को दुनिया में बढ़ावा मिलेगा. सीतारमण ने यह भी कहा कि 'चीन प्लस वन' नीति के बाद अब दुनिया 'यूरोपीय संघ (ईयू) प्लस वन' नीति के बारे में बात कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समक्ष भारत को एक ऐसे देश के रूप में पेश कर रही है. वे चीन और यूरोपीय संघ के अलावा अपने कारखाने लगा सकती हैं.
प्रवासियों को बताया भारत का ब्राण्ड एम्बेसडर:सीतारमण ने कहा कि आप सभी भारतीय संस्कृति और भारत के ब्राण्ड एम्बेसडर हैं. जन-भागीदारी से भारत को उच्च शिखर पर ले जाने में सक्रिय योगदान दें. भारत वर्तमान और अगले साल का सबसे तेज गति से आर्थिक उन्नति करने वाला देश है. प्रवासी भारतीयों को देश के छोटे और बड़े कारोबारियों के साथ भागीदारी करनी चाहिए. ताकि आजादी के अमृत काल के दौरान अगले 25 वर्षों में प्रवासी भारतीयों के उद्यमिता कौशल का भी देशहित में इस्तेमाल हो सके. सीतारमण ने कहा कि, विदेश से आने वाले भारतीयों ने वर्ष 2022 में करीब 100 अरब डॉलर धन देश भेजा.यह अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है. वर्ष 2021 की तुलना में इसमें 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
भारत के हर गांव में हो रहा उत्पाद:वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात दोहराते हुए कहा कि, भारत कोई एक उत्पाद में नहीं बल्कि देश का हर जिला किसी ना किसी विशेष उत्पाद से समृद्ध है. वाराणसी, कांजीवरम की साड़ियां, मुरादाबाद, सेलम के बर्तन, बासमती चावल, मसाले, हस्तशिल्प आदि उत्पादों की एक अपार श्रंखला है. इसको आप अपने-अपने देशों में पहुंचाएं. उन्होंने बांस का उदाहरण देते हुए कहा कि हिन्दुस्तानी बांस को हस्तशिल्प के जरिए क्रिसमस के मौके पर देश के कोने-कोने तक पहुंचा कर मदद की. इसी के साथ भारत की उत्तम छवि का निर्माण भी किया जा सकता है. सीतारमण ने कहा कि, भारत की बढ़ती आत्म-निर्भरता का प्रमाण है कि प्रत्येक कार में कोई ना कोई पुर्जा भारत का बना हुआ है.
वसुधैव कुटुम्बकम वाला भारत:फाइटर जेट, एयर बस, एयर क्राफ्ट भारत में बन रहे हैं. हजारों की संख्या में इंजीनियर्स सेमी-कंडक्टर डिजाइन बना रहे हैं. विश्व के 15 में से 14 हीरे भारत में तराशे जा रहे हैं. सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात है कि भारत चिप डिजाइनिंग में अग्रणी बन चुका है. भारत की 58 कम्पनी विश्व के उद्योग जगत में नेतृत्व कर रही हैं. वसुधैव कुटुम्बकम वाला भारत एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य में विश्वास करता है. भारत विश्व का नॉलेज हब बन चुका है. आईटी कम्पनियां भारत के बाहर भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं. इनमें 1.6 मिलियन रोजगार दिए गए हैं. अमेरिका में औसत 106 डॉलर की दर पर वेतन दिया जा रहा है. भारत टेक हब बनकर उभरा है. भारत टेलेन्ट पूल में अति महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. यूपीआई में एक साल में 125 लाख करोड़ रूपए का योगदान हुआ है.
दो मिलियन विदेशी भारत में कराते हैं इलाज:वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि, अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा दवाओं का निर्माण होता है. लगभग 80 प्रतिशत दवाईयां भारत में बन रही है. यही नहीं हर साल अनेक देश से दो मिलियन लोग इलाज कराने भारत आते हैं. भारत सूचना प्रौद्योगिकी, उपचार, नॉलेज हब आदि के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है. भारत में कुल विश्व जनसंख्या की 17 प्रतिशत आबादी निवास करती है. इसके बावजूद वैश्विक प्रदूषण केवल 5 प्रतिशत है. इसको भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के तहत सौर, पवन, बॉयोमास आदि नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करते हुए कम किया जा रहा है. इनसे कार्बन उत्सर्जन में कमी होने लगी है. जो कई हजार करोड़ पेड़ के बराबर होगी. वित्त मंत्री ने कहा कि, प्रधानमंत्री द्वारा आरंभ की गई मुद्रा योजना छोटे व्यवसायियों के लिए वरदान है. इससे उनको बिचौलियों के चंगुल से राहत मिलने के साथ ही बैंक में गारंटी भी नहीं देनी होती है.
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अमृत काल में बुनियादी ढांचा:उन्होंने कहा, महामारी के बाद एक साल के भीतर लोगों ने सोचा कि भारतीय श्रमिक फिर से विदेश नहीं जाएंगे. पर वे ना केवल वापस गए बल्कि बहुत उपयोगी रोजगार के लिए गए. 1 वर्ष के भीतर ही प्रवासियों की ओर से भेजी गई राशि में 12 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया. डिजिटल प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग, दवा विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के प्रभुत्व का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि, देश ज्ञान और प्रगति का वैश्विक केंद्र बन रहा है.आजादी के अमृत काल में आकांक्षी भारत 4 'आई' पर ध्यान केंद्रित रहेगा. जिसमें बुनियादी ढांचा (Infrastructure) नवाचार (Investment) निवेश (Investment) और समावेश (Inclusion) शामिल हैं.