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साहित्य उत्सव: जब तक मन में है तब तक हर कोई युवा- अभिनेता पीयूष मिश्रा - literature utsav programn indore

इंदौर में दो दिवसीय लिटरेचर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस लिटरेचर उत्सव में देशभर से नामी साहित्यकार पहुंच रहे हैं. इस उत्सव में जाने माने फिल्म अभिनेता और लेखक पीयूष मिश्रा शामिल हुए. जानिए उन्होंने साहित्य और यूथ को लेकर क्या कहा...

Actor and writer Piyush Mishra
अभिनेता और लेखक पीयूष मिश्रा

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Published : Jan 24, 2021, 6:08 PM IST

इंदौर।मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में दो दिन ही साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया था. साहित्य उत्सव में शामिल होने के लिए देश के कई प्रख्यात साहित्यकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी लोग पहुंचे हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से साहित्य व आज के समय की परिस्थितियों से आम लोगों को रूबरू कराना और उनका जुड़ाव रखने की कोशिश की गई है. इस साहित्य उत्सव का छठवां वर्ष था और लगातार 6 सालों से यह साहित्य उत्सव इंदौर में आयोजित किया जा रहा है.

युवा होने की कोई उम्र नहीं होती- फिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा

साहित्य उत्सव में शामिल हुए अभिनेतापीयूष मिश्रा

साहित्य उत्सव में शामिल होने पहुंचे अभिनेता और लेखक पीयूष मिश्रा ने कहा कि साहित्य उत्सव कार्यक्रम में शामिल होने वह तीसरी बार इंदौर पहुंचे हैं. साहित्य उत्सव जैसे कार्यक्रम हमेशा आयोजित किए जाते रहना चाहिए और कोरोना महामारी के बाद आयोजित किए गए इस आयोजन से श्रोता और साहित्यकार दोनों को ही नई ऊर्जा मिली है.

आज का युवा साहित्य से चाहता है जुड़ना

फिल्मअभिनेता और लेखक पीयूष मिश्रा का कहना है कि आज का युवा हमारे साहित्य से जुड़े रहना चाहता है और साहित्य के बारे में जानना चाहता है. साहित्य उत्सव जैसे कार्यक्रम युवाओं को हमारे साहित्य हमारी परंपरा व हमारी वर्तमान स्थिति से जोड़े रखने का काम करते हैं. इस तरह के आयोजनों में बढ़ती युवाओं की भागीदारी यह बताती है कि आज का युवा किस तरह हमारी पुरानी बातों और साहित्य को पसंद करता है.

आज का युवा और आज का हिंदुस्तान इसी तरह के कार्यक्रमों से जानने को मिलता है

फिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा का कहना है कि इस तरह के आयोजनों में शामिल होने कई युवा लेखक और साहित्यकार पहुंचते हैं. युवा साहित्यकारों से नई चीजें सुनने को मिलती है और नए हिंदुस्तान के बारे में पता चलता है कि नए हिंदुस्तान में लोग किस तरह से सोचते हैं और रहते हैं, यह नहीं है कि युवाओं की सुनने और जानने से पुराने साहित्यकार या पुराने लोगों का सम्मान नहीं है. सभी का एक समान सम्मान है लेकिन यह भी जानना जरुरी है कि नई पौत क्या कहना चाहती है.

साहित्य फेस्टिवल

युवा इस तरह के आयोजनों को करते हैं पसंद और नापसंद

लेखकपीयूष मिश्रा का कहना है कि वह साहित्यकार नहीं है लेकिन उनकी कविताएं और लेख लोगों द्वारा पढ़े और सुने जाते हैं वह कहीं भी जाते हैं ऐसे में अब साहित्यकार हो गए हैं. वर्तमान समय में इस तरह के आयोजनों में युवाओं की बड़ी भागीदारी है युवा इस तरह के आयोजनों में पहुंचकर ऐसे आयोजनों को पसंद और नापसंद दोनों ही करता है. इस तरह के आयोजनों को जितना युवा सुनता है, उतना कोई नहीं सुनता आज का युवा बहुत अधिक पड़ता और सुनता है.

जब तक मन में है तब तक हर कोई है युवा

अभिनेता पीयूष मिश्रा का कहना है कि व्यक्ति जब तक अपने मन से युवा है, तब तक हर कोई युवा है. इस तरह के आयोजनों में 60 साल तक के युवा भी शामिल होते हैं. उनका कहना है कि 'मैं खुद लगभग 58 वर्ष का हूं लेकिन मैं अब तक अपने आप को युवा मानता हूं' मैंने कुछ समय पहले ही अपने काम की शुरुआत की है. ऐसे में जब तक व्यक्ति अपने मन में अपने आप को युवा समझता है. वह युवा बना रहता है युवा होने की कोई उम्र नहीं है अगर व्यक्ति मन से सोच लेता है कि वह बूढ़ा हो गया है तब ही वह बूढ़ा होता है.

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