मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

'स्वच्छता के पंच पर पर्यावरण का जंक' - इंदौर के वातावरण

कोरोना काल के बाद शुरू हुई आर्थिक गतिविधियां, परिवहन और निर्माण कार्यों से एक बार फिर विभिन्न शहरों का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के वातावरण में भी बीते साल लॉकडाउन खुलने के बाद शुरू हुई आर्थिक गतिविधियों और निर्माण कार्यों ने धूल कणों का प्रदूषण बढ़ा दिया. जिसे लेकर अब चिंता जताई जाने लगी है.

Environmental junk on the punch of cleanliness
'स्वच्छता के पंच पर पर्यावरण का जंक'

By

Published : Mar 24, 2021, 2:48 PM IST

इंदौर।देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की फिजाओं में घुल रहे धूल कणों ने शहर के वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ा दिया है. हालांकि मौजूदा स्तर चिंताजनक नहीं है, बीते साल में लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण की स्थिति में जो सुधार आया था, उसके उलट अब स्थिति खराब होती जा रही है. बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इंदौर नगर निगम को एक रिपोर्ट भेजी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण पिछले साल मार्च की तुलना में दुगनी रफ्तार से बढ़ रहा है.

'स्वच्छता के पंच पर पर्यावरण का जंक'
  • निर्माण कार्यों से बढ़ रहा प्रदूषण

दरअसल कोरोना संक्रमण के सामान्य होने पर जब लॉकडाउन खत्म हुआ, तो इंदौर समेत राज्य की औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हुई. लिहाजा आवागमन और परिवहन बढ़ने से सड़कों का प्रदूषण तो बड़ा ही. इसके साथ ही शहरों के प्रदूषण में भी महीने दर महीने बदलाव आया. प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर की बात की जाए तो यहां बीते साल मार्च की तुलना में पर्यावरण के स्तर में गिरावट आई है. इसकी वजह शहर भर में चलाए गए नाला टैपिंग के अभियान को माना जा रहा है. नाला टैपिंग के दौरान शहर के वे तमाम नाले और दूषित जल प्रवाह को रोका गया, जो शहर की प्राचीन नदियों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर रहे थे. इसके लिए नगर निगम को बड़े पैमाने पर शहर के विभिन्न इलाकों में खुदाई समतलीकरण और नए निर्माण करने पड़े ऐसी स्थिति में धूल कणों के उड़ने से शहर की फिजाओं में धूल कणों की मात्रा बड़ी है.

शहर की हवाओं में फैल रहा 'जहर', स्थिती नियंत्रण का दावा कर रहा प्रशासन

  • प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने निगम को भेजी रिपोर्ट

प्रदूषण नियंत्रण मंडल की माने तो हवा में धूल कणों की मात्रा बीते साल मार्च की तुलना में दुगनी स्तर तक बढ़ी है. हालांकि इससे स्वास्थ्य आधारित ज्यादा परेशानी की आशंका तो नहीं है, लेकिन फिर भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस आशय की एक रिपोर्ट नगर निगम को भेजी है. इधर नगर निगम ने स्वीकार किया है कि नाला टैपिंग के अलावा किसी भी निर्माण कार्य में धूल कणों का उड़ना स्वभाविक है. लेकिन जहां तक नगर निगम का सवाल है तो नगर निगम ने निर्माण क्षेत्र को ढ़ककर और बैरिकेडिंग कराने के बाद ही विकास के लिए निर्माण कार्यों को कराया है. नदियों को स्वच्छ करने के लिए नालों के आउटफाल बंद करने में भी जो खुदाई की गई थी, वह भी अब पूर्ण की जा चुकी है. वायु में धूल कणों की वृद्धि जैसी स्थिति दो-तीन माह की हो सकती है.

  • कोरोना के अलावा प्रदूषण से बचाएगा मास्क

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन कोरोना से बचने के लिए जिस मास्क के उपयोग की सलाह देता है. वहीं सलाह अब प्रदूषण से बचने के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल दे रहा है. विभाग की माने तो वायु में घुले धूल कणों से बचाव का बड़ा साधन मास्क ही है. जो धूल कण मानव के फेफड़ों में पहुंचकर बीमारी का खतरा उत्पन्न करते हैं. वह मास्क लगाए होने के कारण आसानी से शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते.

धूल के कण शहर की फिजाओं में घोल रहे 'जहर'

  • लॉकडाउन से भी पर्यावरण के सुधार की उम्मीद

इधर लॉकडाउन के कारण एक बार फिर औद्योगिक गतिविधियों के रुकने की आशंका जताई जा रही थी. हालांकि राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल जैसे दोनों शहरों को सप्ताह में एक दिन बंद रखने का फैसला किया है. इस स्थिति को लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने संभावना जताई है कि आंशिक लॉकडाउन से भी पर्यावरण में सुधार हो सकता है. पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो सड़कों पर एक दिन भी वाहनों के ठहरने से धूल कणों का घनत्व वायु में कम हो जाता है. इसके अलावा धूल कण आसानी से जमीन पर आ जाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details