इंदौर। दुनिया में कोरोना के एंट्री के साथ ही लोगों को वैक्सीन की आश थी, लेकिन संक्रमण के भयावह हालातों के बीच दुनिया भर में कई वैक्सीन आ गईं है, तो इन्हें लेकर कई लापरवाही भी सामने आ रही है. ऐसे ही कुछ हाल हैं इंदौर के हैं, जहां पंजीयन और वैक्सीनेशन के दौरान लापरवाही दिखाई दे रही है. इंदौर में ही बीते दो दिनों में शहर के पांच टीकाकरण केंद्रों पर 40 से ज्यादा डोज बेकार हो चुके हैं. यही वजह है कि अब फार्मा सेक्टर भी केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन की अनुमति मांग रहा है.
इन अस्पतालों में इतने डोज बर्बाद
- महाराजा यशवंतराव अस्पताल 152 में से 8 डोज बेकार
- अरविंदो अस्पताल 156 में से 4 डोज बेकार
- अपोलो अस्पताल 172 में से 8 डोज बेकार
- बॉम्बे हॉस्पिटल 169 में से 11 डोज बेकार
- एएसआईसी 151 में से 9 डोज बेकार
प्रदेश में डोज बर्बाद
इंदौर के जैसे ही हालात प्रदेश के अन्य टीका करण केंद्रों के हैं. अभी तक प्रदेश के 41 जिलों में 242 वैक्सीन का नुकसान हो चुका है.
हितग्राही के न पहुंंचने के कारण खराब हो रहे टीके
इंदौर में पांच अलग-अलग केंद्रों पर प्रतिदिन के हिसाब से सौ-सौ टीके लगने थे. यह टीके उन फ्रंटलाइन वर्करों को लगने थे, जिनका पंजीयन पहले से किया गया था. लेकिन पंजीयन के बाद वर्करों को बुलाने की प्रक्रिया में खामी होने के कारण निर्धारित टीकाकरण के दौरान हितग्राही पूरी संख्या में नहीं पहुंच रहे हैं, जिस कारण डोज खराब हो रही है.
कैसे खराब होती है वैक्सीन
प्रत्येक वायल में 10 खुराक की तुलना में 8 लोगों के पहुंचने पर दो खुराक बच गई या फिर किसी केंद्र पर 10 में से दो-तीन लोगों के पहुंचने पर ही सात से आठ खुराक खराब हो गई. क्योंकि एक बायल खोलने के बाद इसे 4 से 6 घंटे के दौरान 10 लोगों को लगाना होता है, इस दौरान यदि सभी खुराक नहीं लगती तो बायल में शेष बची खुराक वैक्सीन डोज लगाने लायक नहीं रहती.