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कोरोना वैक्सीनेशन: डेडलाइन में नहीं लग पा रहे टीके, दो दिन में बर्बाद हुए 40 डोज

कोरोना के भयावह संक्रमण के बीच भले ही देश में वैक्सीन आ गई हो, लेकिन लगातार वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में लापरवाही सामने आ रही है, जिस कारण वैक्सीन के डोज खराब भी हो रहे हैं. प्रदेश में अब तक 242 वहीं अकेले इंदौर में 40 वैक्सीन के डोज बर्बाद हो चुके हैं.

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Published : Jan 20, 2021, 7:57 PM IST

इंदौर। दुनिया में कोरोना के एंट्री के साथ ही लोगों को वैक्सीन की आश थी, लेकिन संक्रमण के भयावह हालातों के बीच दुनिया भर में कई वैक्सीन आ गईं है, तो इन्हें लेकर कई लापरवाही भी सामने आ रही है. ऐसे ही कुछ हाल हैं इंदौर के हैं, जहां पंजीयन और वैक्सीनेशन के दौरान लापरवाही दिखाई दे रही है. इंदौर में ही बीते दो दिनों में शहर के पांच टीकाकरण केंद्रों पर 40 से ज्यादा डोज बेकार हो चुके हैं. यही वजह है कि अब फार्मा सेक्टर भी केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन की अनुमति मांग रहा है.

बर्बाद हो रहे कोरोना वैक्सीन के डोज

इन अस्पतालों में इतने डोज बर्बाद

  1. महाराजा यशवंतराव अस्पताल 152 में से 8 डोज बेकार
  2. अरविंदो अस्पताल 156 में से 4 डोज बेकार
  3. अपोलो अस्पताल 172 में से 8 डोज बेकार
  4. बॉम्बे हॉस्पिटल 169 में से 11 डोज बेकार
  5. एएसआईसी 151 में से 9 डोज बेकार

प्रदेश में डोज बर्बाद

इंदौर के जैसे ही हालात प्रदेश के अन्य टीका करण केंद्रों के हैं. अभी तक प्रदेश के 41 जिलों में 242 वैक्सीन का नुकसान हो चुका है.

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हितग्राही के न पहुंंचने के कारण खराब हो रहे टीके

इंदौर में पांच अलग-अलग केंद्रों पर प्रतिदिन के हिसाब से सौ-सौ टीके लगने थे. यह टीके उन फ्रंटलाइन वर्करों को लगने थे, जिनका पंजीयन पहले से किया गया था. लेकिन पंजीयन के बाद वर्करों को बुलाने की प्रक्रिया में खामी होने के कारण निर्धारित टीकाकरण के दौरान हितग्राही पूरी संख्या में नहीं पहुंच रहे हैं, जिस कारण डोज खराब हो रही है.

कैसे खराब होती है वैक्सीन

प्रत्येक वायल में 10 खुराक की तुलना में 8 लोगों के पहुंचने पर दो खुराक बच गई या फिर किसी केंद्र पर 10 में से दो-तीन लोगों के पहुंचने पर ही सात से आठ खुराक खराब हो गई. क्योंकि एक बायल खोलने के बाद इसे 4 से 6 घंटे के दौरान 10 लोगों को लगाना होता है, इस दौरान यदि सभी खुराक नहीं लगती तो बायल में शेष बची खुराक वैक्सीन डोज लगाने लायक नहीं रहती.

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विभाग कर रहा पंजीयन प्रक्रिया की समीक्षा

जो खुराक बर्बाद हो गई, उससे इतने ही लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती थी. अब जब यह मामला बाहर आने लगा तो विभाग पंजीयन की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा दोबारा कर रहा है. इसके अलावा कोशिश की जा रही है कि लाभार्थियों के पहुंचने के बाद ही वैक्सीन की बायल खोली जाए, जिससे कि वह टोकों को बर्बाद होने से बचाया जा सके.

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फार्मा सेक्टर में मांगी वैक्सीन

मध्यप्रदेश में वैक्सीन की उपलब्धता के बावजूद भी टीकाकरण की लेट लतीफ के कारण लोगों को वैक्सीन की उपलब्धता में कई महीने लग सकते हैं. इंदौर में ही पांच केंद्रों पर अभी तक 1000 लोगों को टीके नहीं लगाए जा सके हैं. इस स्थिति को देखते हुए ड्रग मैन्युफैक्चरर्स अब को वैक्सीन की सप्लाई फार्मा सेक्टर को भी करने की मांग केंद्र रहे हैं, जिससे कि निजी स्तर पर भी वैक्सीन की उपलब्धता हो सके.

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इसलिए हो रहा है नुकसान

जिन फ्रंटलाइन वर्करों को निर्धारित तिथि के मुताबिक बुलाया जाता है उन्हें या तो समय पर सूचना नहीं मिलती या फिर वैक्सीनेशन में लगी टीम उनसे संपर्क नहीं कर पाती. इस स्थिति में जिन लोगों को टीका लगना है, वह केंद्रों तक पहुंच नहीं पाते. वहीं केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक अन्य किसी को भी टीका नहीं लगाया जा सकता लिहाजा वैक्सीन बर्बाद हो जाती है.

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिया सुझाव

इस स्थिति के मद्देनजर अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य स्वास्थ्य संगठन मांग कर रहे हैं कि यदि वैक्सीनेशन के दौरान लाभार्थियों के उपलब्ध नहीं रहने के कारण खुराक बच रही है तो नहीं आने वालों के स्थान पर अगले दिन की सूची में से कुछ लोगों को बुलाकर उन्हें वैक्सीन का डोज लगाया जाए, जिससे कि वैक्सीन के नुकसान से बचा जा सके.

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