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माइनस 15 डिग्री पर ही सुरक्षित रहेगी को-वैक्सीन, वितरण के साथ स्टोरेज बन सकता है चुनौती

मध्यप्रदेश के शहरों में तमाम कोशिशों के बावजूद वैक्सीन के भंडारण की व्यवस्था नहीं है, इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने भी स्पष्ट किया है कि इंदौर से प्रदेश भर में वैक्सीन वितरित की जा सके इसके लिए इंदौर स्थित एयर कार्गो को तापमान के लिहाज से अपग्रेड किया जा रहा है.

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Published : Nov 28, 2020, 8:23 PM IST

इंदौर। दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन लगाने को लेकर जहां व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. वहीं राज्य के अधिकांश शहरों में तमाम कोशिशों के बावजूद वैक्सीन के भंडारण की व्यवस्था नहीं है. कोरोना हॉटस्पॉट इंदौर में भी आलम यह है कि यहां एयरपोर्ट पर स्थित एयर कार्गो भी वैक्सीन के भंडारण के मान से अनुपयोगी बताया गया है.

को-वैक्सीन वितरण के साथ स्टोरेज बनेगा चुनौती

इधर इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने भी स्पष्ट किया है, इंदौर से प्रदेशभर में वैक्सीन वितरित की जा सके इसके लिए इंदौर स्थित एयर कार्गो को तापमान के लिहाज से अपग्रेड किया जा रहा है. गौरतलब है कि राज्य में राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज और पीपुल्स हॉस्पिटल के संयुक्त प्रयास से वैक्सीन का पहला डोज हाल ही में पहुंचा है. इसके अलावा केंद्र सरकार के स्तर पर आगामी एक या दो माह में देशभर में वैक्सीन के परिवहन और भंडारण की व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. इधर सब से संक्रमित माने जा रहे इंदौर में सर्वप्रथम मेडिकल स्टाफ और जरूरतमंद लोगों को दवाई मुहैया कराई जा सके, इसके लिए अब यहां एयरपोर्ट पर स्थित कार्गो को अपग्रेड करने की कोशिश हो रही है.

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माइनस 15 डिग्री में हो सकेगा भंडारण

कोरोना की संभावित वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए न्यूनतम तापमान 15 डिग्री होना आवश्यक है. यही वजह है कि देशभर में एयर कार्गो और स्वास्थ्य विभाग के अधीन फ्रीजर में वैक्सीन को रखने की बाध्यता होगी. इस बीच यह भी पता चला है कि अधिकांश शहरों में माइनस 15 डिग्री तापमान के भंडारण की समुचित व्यवस्था का अभाव है. इसके बावजूद हर स्तर पर फिलहाल वैक्सीन की सफलता के साथ उसकी उपलब्धता को लेकर इंतजार किया जा रहा है.

ट्रायल शुरू

'कोवैक्सीन' के थर्ड स्टेज का क्लीनिकल ट्रायल शुक्रवार से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ. इसके लिए भारत बायोटेक ने कॉलेज को अपनी कोवैक्सीन के एक हजार डोज भेजे हैं. पहला टीका 46 साल के एक शिक्षक को दिया गया है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन अब भी जारी है. जिन वॉलेंटियर्स को ये टीका लगेगा उन्हें बाद में बूस्टर डोज 28 दिनों के बाद दिया जाएगा. कोरोना वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर और भारत बायोटेक इंटरनेशनल द्वारा विकसित की गई है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है. कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के पहले दिन वॉलेन्टियर बने 46 वर्षीय शिक्षक के अलावा 100 और लोगों को भी टीका लगाया जाएगा. काउंसलिंग के बाद ही सभी वॉलेंटियर को टीका लगाया जा रहा है. साथ ही उन्हें 750 रुपए भी दिए जाएंगे.

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पहले दिन 10 लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन

देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को कोरोना वैक्सीन का इंतजार है. राजधानी भोपाल में थर्ड फेज के ट्रायल में शामिल लोगों का कहना है कि ये गर्व की बात है वो इसमें शामिल हो रहे हैं. यह वैक्सीन भारत मे तैयार की गई है. राजधानी में इसके ट्रायल को लेकर काफी उत्सुकता है. पीपुल्स अस्पताल के डीन ने बताया कि अस्पताल में 3 दिन पहले ये वैक्सीन आई है. जिसका ट्रायल आज से शुरू हुआ. इसमें जिन वॉलेंटियर्स की काउंसलिंग की जा रही है, उन्हें ही टीका लगेगा और निगरानी में रखा जाएगा. कुल एक हजार वैक्सीन के डोज अस्पताल को मिले हैं. पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाएगा. ट्रायल में किसी भी हेल्थ वर्कर्स को ये टीका नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि इन्हें कोविड के एक्सपोजर का खतरा दूसरे वालेंटियर से ज्यादा है.

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